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थिय
अव्यय (थिय- (स्त्री) थिया) भूकृ 1/1 अनि (विवण्ण- (स्त्री) विवण्णा) 1/1वि
की तरह स्थिर निस्तेज
विवण्ण
पणवेप्पिणु
वुच्चइ
प्रणाम करके कहा जाता है सुप्रभा के द्वारा हे प्रभु
सुप्पहाए
किर
(पणव) संकृ (वुच्चइ) व कर्म 3/1 सक अनि (सुप्पहा) 3/1 (अव्यय) सम्बोधनार्थक (काइँ) 1/1 सवि (अम्ह) 6/1 स (तणिया) 3/1 वि (कहा) 3/1
काइँ
क्या
मेरे
महु तणियए
सम्बन्धार्थक परसर्ग विशेषण चर्चा से
कहाए
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पाणवल्लहिय
प्राणों से प्यारी
अव्ययव (अम्ह) 1/1 स अव्यय [(पाण) + (वल्लहा)+(इय)] [(पाण)-(वल्लहा) 1/1] इय = अव्यय (देव) 8/1 अव्यय [(गन्ध)-(सलिल) 2/1] (पाव) व 3/1 सक
इस प्रकार
हे देव
गन्ध-सलिलु
गन्धोदक
पावइ
पाती है
ण
अव्यय
नहीं
केम
अव्यय
क्यों
तहिं
उसी
उसी
अवसरे
समय पर
(त) 7/1 सवि (अवसर) 7/1 (कञ्चुइ) 1/1 (ढुक्क) भूकृ 1/1 अनि
कञ्चुइ
कञ्चुकी पहुँचा
ढुक्कु
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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