SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( श्रम्ह के ) ङि सहित मि, मइ, ममाइ, मए, मे (होते हैं) । अह के ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय ) सहित मि, मइ, ममाइ, मए, मे होते हैं । म्ह (पु, नपु, स्त्री ) - ( म्ह + ङि ) = मि, मइ, ममाइ, मए. मे 115 ग्रम्ह मम - मह - मज्भाङौ 3/116 श्रम्ह - मम-मह-मज्झाङ [ (मज्झाः ) + (ङ)] [(ग्रह) - (मम) - (मह) - (मज्झ ) 1 / 3] ङौ (ङि) 7/1 ङि परे होने पर (ग्रम्ह के स्थान पर) श्रम्ह, मम, मह, मज्झ (होते हैं) । ङि (सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर ग्रम्ह के स्थान पर ब्रम्ह, मम, मह, मज्झहोते हैं (फिर इनमें सप्तमी एकवचन के प्रत्यय लगते हैं ) ( सूत्र 3 / 59 ) 1 ग्रह (पु., नपु., स्त्री . ) - (ग्रम्ह + ङि ) = नम्ह, मम, मह, मज्झ ( म्ह+म्मि, रिस, त्थ) = श्रम्हम्मि, ग्रम्हरिस, अम्हत्थ (मम+मि, सि, त्थ) = ममम्मि, ममस्सि, ममत्थ (मह +म्मि, सि, त्थ) = महम्मि, महस्सि, महत्थ (मज्झ +म्मि, रिस त्थ) = मज्भम्मि, मज्झस्सि, मज्झत्थ 116. gfa सुपि ( सुप्) 7/1 सुप्सु परे होने पर (अम्ह के स्थान पर) श्रम्ह, मम, मह, मज्झ होते हैं । सुप्सु (सप्तमी बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर ग्रम्ह के स्थान पर अम्ह, मम, मह, मज्झ होते हैं । अम्ह (पु., नपु, स्त्री ) - ( अम्ह + सु = श्रम्हेसु ( मम + सु 64 ] 3/117 Jain Education International = ममे सु ( मह + सु ) ( मज्झ + सु ( सप्तमी एकवचन ) महेसु = मज्झेसु = (सप्तमी एकवचन ) For Private & Personal Use Only (सप्तमी बहुवचन) [ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy