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ङसि परे होने पर (अम्ह के स्थान पर) मइ, मम, मह, मज्झ (होते हैं)। ङसि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर (प्रम्ह के स्थान पर) मइ, मम, . मह, मज्झ होते हैं (फिर इनमें पंचमीबोधक प्रत्यय लगेंगे) (सूत्र 3/8, 3/12)। अम्ह (पु., नपु., स्त्री.) - (अम्हन-ङसि)=मइ, मम, मह, मज्झ
(म इ-+त्तो, ओ, उ, हिन्तो)=मइत्तो, मईयो,
('०', हि का लोप इकारान्त में) मईउ, म ईहिन्तो (मम+त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, .)=ममत्तो, ममानो,
ममाउ, ममाहि,
ममाहिन्तो, ममा (मह+तो, प्रो, उ, हि, हिन्तो, ०)=महत्तो, महायो,
महाउ, महाहि,
महाहितो, महा (मज्झ+तो, मो, उ, हि, हिन्तो,०)=मज्झत्तो,मज्झानो,
मज्झाउ, मज्झाहि, मज्झाहितो, मज्झा
(पंचमी एकवचन) 111. ममाम्ही भ्यसि 3/112
ममाम्ही भ्यसि [(मम)+(अम्ही)] [(मम)-(प्रम्ह) 1/2] भ्यसि (भ्यस्) 7/1 भ्यस् परे होने पर (प्रम्ह के स्थान पर) मम और अम्ह (होते हैं)। भ्यस् (पंचमी बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर अम्ह के स्थान पर मम और प्रम्ह होते हैं (फिर इनमें पंचमी बहुवचन के प्रत्यय लगेंगे) (सूत्र 3/9, 3/12 3/13) । प्रम्ह (पु., नपु., स्त्री)- (अम्ह+भ्यस्)=मम, अम्ह
(मम+त्तो, प्रो, उ, हि, -ममत्तो, ममायो, हिन्तो, सुन्तो) ममाउ ममाहि
ममाहितो. ममासुन्तो (प्रम्ह+तो, मो, उ, हि, =अम्हतो, प्रम्हानो, हिन्तो, सुन्तो) प्रम्हाउ, अम्हाहि,
अम्हाहितो, अम्हासुन्तो
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरम
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