SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सयंभू (पु)- (सयंभू+जस्)= (सयंभू--णो)=सयंभुगो (प्रथमा एकवचन) (सयंभू+शस्)=(सयंभू+-णो)=सयंभुणो (द्वितीया बहुवचन) यहां 3/4, 3/12 और 3/124 से हरी, साहू, गामणी और सयंभू (प्रथमा बहुवचन) 22 सि-ङसोः पुं-क्लीबे वा 3/23 [(ङसि)-(ङस्) 6/2] [(पुं)-(क्लीब) 7/1] वा=विकल्प से (प्राकृत में) (इकारान्त-उकारान्त) पुल्लिग-नपुंसकलिंग (शब्दों) में ङसि और हुस् के स्थान पर विकल्प से (गो होता है)। इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग-नपुंसकलिंग शब्दों में सि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) और ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से रणो होता है। दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है (3/43) और ह्रस्व स्वर दीर्घ नहीं होता (3/125)। हरि (पु.)-(हरि +ङसि)=(हरि+णो) हरिणो (पंचमी एकवचन) (हरि+ ङस् )= (हरि + णो) हरियो (षष्ठी एकवचन) साहु (पु.)- (साहु + ङसि) =(साहु +णो)=साहुणो (पंचमी एकवचन) (साहु + ङस्)= (साहु +णो)=साहुणो . (षष्ठी एकवचन) वारि (नपु)-(वारि+ङसि)=(वारि+णो)= वारिणो (पंचमी एकवचन) (वारि+ ङस्)=(वारि+णो)=वारिणो (षष्ठी एकवचन) महु (नपु.)- (महु + ङसि) = (महु+णो)=महुणो (पंचमी एकवचन) . (महु +अस्) =(महु +णो)=महुणो (षष्ठी एकवचन) गामणी (पु.)- (गामणी+ङसि) = (गामणी+णो) = गामरिणरणो (पंचमी एकवचन) (गामणी+ङस्)=(गामणी-+-रगो) =गामरिणरणो (षष्ठी एकवचन) सयंभू (पु)-(सयंभू+ ङसि)=(सयंभू+णो)= सयंभुणो (पंचमी एकवचन) (सयंभू+ङस्)=(सयभू +णो)-सयंभुणो (षष्ठी एकवचन) प्रौढ प्राकृत रचना सौरम ] [ 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy