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हरि (पु.)-(हरि+सि)=(हरी + सि)=(हरी+०)=हरी
(प्रथमा एकवचन) मइ (स्त्री.)-(मइ+सि)= (मई+सि)= (मई+०) =मई
(प्रथमा एकवचन) साहु (पु.)-(साहु + सि)=(साहू +सि)=(साहू +०)=साहू
(प्रथमा एकवचन) घेणु (स्त्री.)- (घेणु+ सि) =(घेणू+सि) = (घेणू +०)=घेणू
(प्रथमा एकवचन) इसी प्रकार गामणी (पु), सयंभू (पु), लच्छी (स्त्री.) और बहू (स्त्री.) के रूप बनेंगे।
19. पुंसि जसोडउ डमो वा 3/20
पुंसि जसोडउ उप्रो वा [(जम:)+(डउ)] डो वा पुंसि (पुंस्) 7/1 जसः (जस्) 6/1 डउ (डउ) 1/l इयो (डप्रो)1/1 वा=विकल्प से (प्राकृत में) (इकारान्त-उकारान्त) पुल्लिग शब्दों में जस् के स्थान पर डउ→ अउ तथा डो→प्रमो विकल्प से (होता है)। इकारान्त-उकारान्त पुल्लिग शब्दों में जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर प्रउ तथा प्रमो विकल्प से होता है । हरि (पु)-(हरि+जस्)=(हरि+घउ, प्रमो)=हरउ, हरो
(प्रथमा बहुवचन) गामणी (पु.)-(गामणी+जस्)=(गामणी+पउ, अनो)=गामणउ, गामणमो
__(प्रथमा बहुवचन) साहु (पु)-(साहु +जस्) =(साहु +पउ, अनो)=साहउ, साहसो
(प्रथमा बहुवचन) सयंभू (पु)-(सयंभू + जस्)= (सयंभू+उ, प्रो)=सयंभउ, सयंभो
(प्रथमा बहुवचन)
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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