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24. चार छियालीस स्त्रियां तप करें। 25. पचास बालक रूसते हैं । 26. चौवन राक्षस डरते हैं । 27. अट्ठावन मनुष्य बैठे। 28. बासठ रत्न शोमते हैं । 29. पांच बासठ रत्न शोभते हैं । 30. पैसठ फूल खिलते हैं। 31. सत्तर धागे गलेंगे। 32. तिहत्तर नागरिक ठहरें। 33. दो तिहत्तर नागरिक ठहरें। 34. छिहत्तर झोंपड़ियां शोमती हैं। 35. अठहतर महिलायें प्रसन्न होवेंगी। 36. बयासी कागज जलते हैं । 37. छियासी बालक खेलेंगे। 38. नब्बे रत्न पड़कर टूटते हैं । 39. तीन नब्बे रत्न पड़कर टूटते हैं । 40. तिरानवे सांप डरकर भागते हैं। 41. छियानवे पोते नाचने के लिए उठेंगे । 42. सौ लकड़ियां जलती हैं। 43. दो सौ बालक खेलेंगे। 44. तीन दोसौ बालक खेलेंगे। 45. पांच सौ मनुष्य प्रसन्न होते हैं । 46. चार पांच सौ मनुष्य प्रसन्न होते हैं । 47. सात सौ मनुष्य प्रसन्न होने के लिए जीवेंगे । 48. हजार मनुष्य बसते हैं। 49. तीन एक हजार मनुष्य बसते हैं।
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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