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भविष्यत्काल (बहुवचन)
प्रथमा (बहुवचन) ससा
सस
ससाउ
= बहिनें हँसेगी। .
हसेसहिं/हसेसन्ति/हसेसन्ते/हसेसइरे हसिहिहिं/हसिहिन्ति/हसिहिन्ते/हसिहिइरे
ससउ ससाओ ससओ माया
माय
मायाउ
जग्गेसहिं/जग्गेसन्ति/जग्गेसन्ते/जग्गेसइरे जग्गिहिहिं/जग्गिहिन्ति/जग्गिहिन्ते/जग्गिहिइरे
= माताएँ जागेंगी।
मायउ मायाओ मायओ
ससा/सस/ससाउ/ससउ/ससाओ/ससओ = प्रथमा बहुवचन (आकारान्त स्त्रीलिंग)। आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द 'ससा' में 0, उ, ओ प्रत्यय प्रथमा के बहुवचन में लगेंगे। इन प्रत्ययों के प्रभाव से मूलशब्द ह्रस्व (आ-अ) हो जाता है। अर्थात् '0', 0•अ, 'उ', उ-अउ, 'ओ', ओ• अओ। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। कर्तृवाच्य में कर्ता (व्यक्ति, वस्तु आदि) में प्रथमा होती है। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त संज्ञाओं के साथ जो क्रियारूप काम में आया है वह 'अन्य पुरुष बहुवचन' का है। कर्तृवाच्य में प्रयुक्त संज्ञाओं के साथ 'अन्य पुरुष सर्वनाम' की क्रिया काम में आती है। यहाँ संज्ञा बहुवचन में है अत: क्रिया भी बहुवचन की ही लगी है।
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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