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हउं = मैं,
तुहुं = तुम अकर्मक क्रियाएँ
1.
2.
3.
4.
32
ठा = ठहरना,
ह
a. a.
तुहुँ
सो
सा
सो
सा
सो
सा
पाठ 21 सर्वनाम - एकवचन
आकारान्त आदि क्रियाएँ
हउं = मैं,
तुहुं = तुम,
पहा = नहाना,
भविष्यत्काल
ठासउं / ठासमि/ठाहिउं / ठाहिमि हासउं / ण्हासमि/ ण्हाहिउं / हाहिमि होसउं / होम / होहि ं / होहिमि ठासहि/ ठाससि / ठाहिहि / ठाहिसि
हासहि / ण्हाससि / हाहिहि / ण्हाहिसि होसहि/ होससि / होहिहि / होहिसि
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ठास / ठाहि
ठासइ / ठाहि
हास / हाि
हासइ/हाि
होस / होहि
होस / होहि
उत्तम पुरुष एकवचन मध्यमपुरुष एकवचन
उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं।
उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं।
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=
सो
=
= वह (पुरुष),
सा = वह (स्त्री),
मैं ठहरूँगा / मैं ठहरूँगी ।
मैं नहाऊँगा / मैं नहाऊँगी ।
मैं होलूँगा / मैं होलूँगी।
= तुम ठहरोगे / तुम ठहरोगी ।
= तुम नहावोगे / तुम नहावोगी ।
= तुम होवोगे / तुम होवोगी।
= वह ठहरेगा |
हो = होना
सो
अन्य पुरुष एकवचन
सा = वह (स्त्री)
भविष्यत्काल के तीनों पुरुषों के एकवचन में 'स' और 'हि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने के पश्चात् वर्तमानकाल के प्रत्यय उपर्युक्त प्रकार से जोड़ दिये जाते हैं ।
= वह ठहरेगी।
= वह नहावेगा |
= वह नहावेगी |
= वह होगा ।
= वह होगी ।
पुरुष वाचक सर्वनाम
एकवचन
अपभ्रंश रचना सौरभ
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