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ता
ठान्त-ठन्तु
ण्हान्तु- हन्तु
ण्हान्तु- हन्तु
वे दानों ठहरें। वे सब ठहरें। वे दोनों नहावें। वे सब नहावें। वे दोनों नहावें। वे सब नहावें। वे दोनों होवें। वे सब होवें। वे दोनों होवें। वे सब होवें।
होन्तु
ता
होन्तु
1.
अम्हे
हों हम सब.
- हम दोनों/हम सब,
उत्तम पुरुष बहुवचन, | पुरुषवाचक
सर्वनाम मध्यम पुरुष बहुवचन, | बहुवचन
तुम्हे ।
= तुम दोनों/तुम सब,
ते = वे दोनों (पुरुष)/वे सब (पुरुष) । अन्य पुरुष ता = वे दोनों (स्त्रियाँ)/वे सब (स्त्रियाँ) J बहुवचन विधि एवं आज्ञा के प्रत्यय (पाठ 9 से 16 तक)
एकवचन बहुवचन उत्तम पुरुष मध्यम पुरुष इ, ए, उ,0
हि, सु अन्य पुरुष उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता के अनुसार क्रियाओं के पुरुष और वचन हैं। संयुक्ताक्षर से पहले यदि दीर्घ स्वर हो तो वह ह्रस्व हो जाता है। जैसे - ठान्ति-ठन्ति, हान्ति-हन्ति आदि। अपभ्रंश में 'आ', 'ई' और 'ऊ' दीर्घ
स्वर होते हैं तथा 'अ', 'इ', 'उ', 'ए' और 'ओ' ह्रस्व स्वर माने जाते हैं। अपभ्रंश रचना सौरभ
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