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________________ हउं = मैं तुहुं = तुम अकर्मक क्रियाएँ 1. 2. 3. ठा = ठहरना, हउं ह हउं तुहुं तुहुं तुहुं सो सा सो ठामु भ्रंश रचना सौरभ हामु Jain Education International होम् पाठ 12 सर्वनाम एकवचन आकारान्त आदि क्रियाएँ पहा = नहाना, विधि एवं आज्ञा सा सो सा हउं = मैं, उत्तम पुरुष एकवचन तुहुं = तुम, मध्यम पुरुष एकवचन सो ठाइ /ठाए/ ठाउ / ठाहि/ ठासु ण्हाइ/ण्हाए/ण्हाउ/ण्हाहि / हासु होइ / होए / होउ / होहि / होसु ठाउ ठाउ ण्हाउ ण्हाउ होउ होउ सो = वह (पुरुष) सा = वह (स्त्री) हो = होना For Private & Personal Use Only = = = = = = मैं ठहरूँ । मैं नहाऊँ । मैं होऊँ । तुम ठहरो । तुम नहावो । तुम होवो | = वह ठहरे। = वह ठहरे। = वह नहावे । = वह नहावे । = वह होवे | = वह होवे । = वह (पुरुष) अन्य पुरुष एकवचन सा = वह (स्त्री) अन्य पुरुष एकवचन अकारान्त क्रियाओं को छोड़कर आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के मध्यम पुरुष एकवचन में '0' प्रत्यय नहीं लगता है । उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन 17 www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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