________________
200
चतुर्थी व षष्ठी एकवचन
Jain Education International
पुल्लिंग
देव - अ 0, 0-आ सु, सु-आसु हो, हो-आहो
हरि - इ 0 0- ई
गामणी - ई 0 -
साहु - उ 0 -ऊ
सयंभू - ऊ 0 -उ
0
0
स्सु
नपुंसकलिंग
महु - उ
.
For Private & Personal Use Only
कमल - अ 0, 0-आ सु, सु-आसु हो, हो-आहो
वारि - इ .0
0-ई
0-ऊ
स्सु
स्त्रीलिंग
अपभ्रंश रचना सौरभ
कहा - आ 0, 0-अ हे, हे-अहे
मइ - इ 0, 0-ई
www.jainelibrary.org
लच्छी - ई 0, 0-इ
धेणु - उ 0, 0-ऊ हे, हे ऊहे
बहू - ऊ 0, 0-उ हे, हे-उहे