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द्वितीया एकवचन
196
पुल्लिंग
हरि - इ
गामणी - ई
साहु - उ
सयंभू - ऊ
देव - अ 0
0-आ
0-इ
0-ऊ
0-उ
अ-उ
नपुंसकलिंग
वारि - इ
-
उ
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कमल - अ 0
0-आ
अ-उ
अन्त्य
'अ'-उं
स्त्रीलिंग
कहा- आ
मइ - इ
लच्छी - ई
धेणु - उ
बहू - ऊ
0
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अपभ्रंश रचना सौरभ
0-अ