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________________ पाठ79 विविध सर्वनाम || || 呢呢呢呢 || ज (पु. नपुं.) = जो, एत (पु. नपुं.) जा (स्त्री) = जो, एता (स्त्री) क (पु. नपुं.) = कौन, इम (पु. नपुं.) का (स्त्री) = कौन, ___ इमा (स्त्री) = यह आय (पु. नपुं.)= यह, कवण (पु. नपुं.) = कौन, क्या, कौनसा आया (स्त्री) = यह, कवणा (स्त्री) = कौन, क्या, कौनसा काँइ (पु. नपुं. स्त्री) = कौन, क्या, कौनसा उपर्युक्त सर्वनामों के रूप शब्द-रूपों में देखकर निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए - अभ्यास (क)(1) जो मनुष्य थकता है, वह सोता है। (2) जो गुस्सा करता है, वह छिपता है। (3) जिसके द्वारा सोया जाता है, उसके द्वारा हँसा जाता है। (4) जिसका शरीर थका हुआ है, उसका बुढ़ापा बढ़ा हुआ है। (5) मैं जिसको बुलाता हूँ, वह तुम हो। (6) जिस लकड़ी पर तुम बैठे हो, वह मेरी है। (7) तुम जिससे डरते हो, उससे मैं डरता हूँ। (ख) - (1) यह मनुष्य हँसता है। (2) ये मनुष्य हँसते हैं। (3) वह यह ग्रन्थ पढ़ता है। (4) वे ये ग्रन्थ पढ़ते हैं। (5) इस मनुष्य के द्वारा हँसा जाता है। (6) इन मनुष्यों के द्वारा ग्रन्थ पढ़े जाते हैं। (7) मैं इसके लिए जीता हूँ। (8) वह इसके लिए जीती है। (9) मैं यह व्रत पालता हूँ। (10) इस मनुष्य में ज्ञान है। (ग)(1) तुम क्या करते हो ? (2) तुम किन कार्यों को करते हो ? (3) वह किससे अपभ्रंश रचना सौरभ 157 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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