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पाठ 74 संज्ञा-सर्वनाम
संज्ञा शब्द सप्तमी एकवचन
संज्ञाएँ
अकारान्त पुल्लिंग अकारान्त नपुंसकलिंग इकारान्त पुल्लिंग ईकारान्त पुल्लिंग उकारान्त पुल्लिंग ऊकारान्त पुल्लिंग इकारान्त नपुंसकलिंग उकारान्त नपुंसकलिंग आकारान्त स्त्रीलिंग इकारान्त स्त्रीलिंग ईकारान्त स्त्रीलिंग उकारान्त स्त्रीलिंग ऊकारान्त स्त्रीलिंग
नरिंद = राजा रज्ज = राज्य सामि = स्वामी गामणी = गाँव का मुखिया साहु = साधु सयंभू = स्वयंभू वारि = जल वत्थु = पदार्थ माया = माता जुवइ = युवती पुत्ती = पुत्री घेणु = गाय जंबू = जामुन का पेड़
सप्तमी एकवचन नरिंदि/नरिंदे रज्जि/रज्जे सामिहि/सामीहि गामणीहि/गामणिहि साहुहि/साहूहि सयंभूहि/सयंभुहि वारिहि/वारीहि वत्थुहि/वत्थूहि मायाहिं/मायहिं जुवइहिं/जुवईहिं पुत्तीहिं/पुत्तिहिं धेणुहिं/धेणूहिं जंबूहि/जंबुहिं
सर्वनाम सप्तमी एकवचन
मई
= मुझ में, मुझ पर पई, तई = तुम में, तुम पर तहिं, ताहिं = उन पर (पुल्लिग, नपुंसकलिंग)
ताहिं/तहिं = उन पर (स्त्रीलिंग) अभ्यास (1) वह घर में नाचता है।
(2) आकाश में बादल गरजते हैं। (3) वह परीक्षा में मूर्च्छित होती है। (4) नर्मदा में पानी सूखता है। (5) सीता घर में कथा सुनती है। (6) वह पोटली पर बैठता है। (7) बुढ़ापे में वाणी थकती है। (8) राम के राज्य में लक्ष्मी बढ़ती है। (9) उसकी माता घर में पुत्र को पालती है। (10) तुम हँसकर घर में नाचते हो।
अपभ्रंश रचना सौरभ
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