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पाठ 66
संज्ञा संज्ञा शब्द चतुर्थी व षष्ठी एकवचन संज्ञाएँ
चतुर्थी व षष्ठी एकवचन इकारान्त पुल्लिंग सामि = स्वामी
सामि/सामी ईकारान्त पुल्लिंग गामणी = गाँव का मुखिया । गामणी/गामणि उकारान्त पुल्लिंग साहु = साधु
साहु/साहू ऊकारान्त पुल्लिंग सयंभू = स्वयंभू
सयंभू/सयंभु इकारान्त नपुंसकलिंग वारि = जल
वारि/वारी उकारान्त नपुंसकलिंग वत्थु = पदार्थ
वत्थु/वत्थू
अकर्मक क्रियाएँ गल = गलना, चुअ = टपकना,
फुर = प्रकट होना जग्ग = जागना
सकर्मक क्रियाएँ कर = करना पढ = पढ़ना
षष्ठी एकवचन सामि/सामी गव्व/गव्यु/
गलइ/आदि = स्वामी का गर्व गव्वो/गव्वा
गलता है। गामणी/गामणि पुत्त/पुत्तु/ गंथ/गंथा पढइ/आदि = गाँव के मुखिया का पुत्तो/पुत्ता गंथु
पुत्र ग्रन्थ पढ़ता है। साहु/साहू तेउ/तेऊ
फुरइ/आदि = साधु का तेज प्रकट
होता है। वारि/वारी बिन्दु/बिन्दू
चुअइ/आदि = जल की बूंद टपकती है। सयंभू/सयंभु पुत्त/पुत्तु/पुत्तो/ जग्गइ/आदि = स्वयंभू का पुत्र जागता है।
पुत्ता वत्थु/वत्थू णाण/णाणा/ करइ = वह पदार्थ का ज्ञान णाणु
करता है। अपभ्रंश रचना सौरभ
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