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वर्तमान कृदन्त
हेत्वर्थक कृदन्त
संबंधक भूत कृदन्त
( पूर्वकालिक क्रिया)
अपभ्रंश में (1) 'भोजन खाता हुआ', 'गाँव जाता हुआ' आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया सहित वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। (2) 'भोजन खाने के लिए', 'गाँव जाने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया सहित हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है । (3) 'भोजन करके', 'गाँव जाकर' आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया सहित संबंधक भूत कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। ये तीनों कृदन्त क्रियाओं से बनाए जाते हैं। वर्तमान कृदन्त शब्द विशेषण का कार्य करते हैं तथा अन्तिम दोनों (हे. कृ.) और (सं.कृ.) अव्यय का कार्य करते हैं। इतना होने पर भी अपने मूल स्वरूप 'क्रिया' को नहीं छोड़ते हैं । अतः सकर्मक क्रियाओं से बनने पर कर्म का साथ लिये रहते हैं । कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है, अत: इनके साथ कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। इनके प्रत्ययों के लिए देखें पाठ 27, 28 और 421
सो
हउं
ra.
128
पाठ 63 विविध कृदन्त
(द्वितीया सहित )
भोयण / जेमन्तु / जेमन्तो / जेमन्त / भोयणा/जेमन्ता/जेममाणु/जेममाणो / भोयणु जेममाण / जेममाणा
गामु/
गाम /
गामा
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गच्छन्तु / गच्छन्तो/गच्छन्त /
गच्छन्ता / गच्छमाणु/गच्छमाणो / गच्छमाण / गच्छमाणा
उट्ठइ / आदि
= वह भोजन जीमता हुआ उठता है।
हसउं / आदि = मैं गाँव जाता हुआ हँसता हूँ।
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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