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रिसिं/रिसीं/ रिसिएं/रिसीएं/
पहु/पहू
झाइअव्व/झाइअव्वु/ झाइअव्वो/झाइअव्वा/ झाएअब्बु/झाएअव्य/ झाएअव्यो/झाएअव्वा
अथवा झाइएव्वउं/झाएव्वउं/ झाएवा
ऋषि द्वारा प्रभु = ध्याया जाना
चाहिए।
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___ मई
सत्तु/सत्तू
खमिअव्व/खमिअव्वा/ खमेअव्व/खमेअव्वा/
अथवा खमिएव्वउं/खमेव्वउं/ खमेवा
मेरे द्वारा शत्रु = क्षमा किए जाने
चाहिए।
(2)
नपुंसकलिंग
सामि/सामीं/
सामिएं/सामीए/
वारि/वारी
1 पिबिअव्व/पिबिअव्वा/ 1
पिबिअव्वु/पिबेअव्व/ पिबेअव्वा/पिबेअब्बु
अथवा पिबिएव्वउं/पिबेव्वउं/पिबेवा
स्वामी द्वारा = जल पिया जाना चाहिए।
सामिण/सामीण/ सामिणं/सामीणं
Jal अपभ्रंश रचना सौरभ
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