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पाठ 50 संज्ञा - सर्वनाम द्वितीया-एकवचन
(सकर्मक क्रियाएँ) संज्ञाएँ
द्वितीया एकवचन अकारान्त पुल्लिंग नरिंद = राजा,
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु करह = ऊँट,
करह/करहा/करहु परमेसर = परमेश्वर, परमेसर/परमेसरा/परसेसरु अकारान्त नपुंसकलिंग भोयण = भोजन, भोयण/भोयणा/भोयणु तिण = घास,
तिण/तिणा/तिणु रज्ज = राज्य,
रज्ज/रज्जा/रज्जु आकारान्त स्त्रीलिंग माया = माता,
माया/माय कहा = कथा,
कहा/कह सिक्खा = शिक्षा सिक्खा/सिक्ख
सकर्मक क्रियाएँ
रक्ख = रक्षा करना, पाल = पालना, सुण = सुनना, चर = चरना,
पणम = प्रणाम करना, जाण = जानना, समझना खा = खाना (1) अकारान्त पुल्लिंग वर्तमानकाल
(द्वितीया एकवचन) नरिंदु नरिंदो
, परमेसर/परमेसरा/परमेसरु पणमइ = राजा पमरेश्वर को प्रणाम करता है। नरिंद नरिंदा
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु
रक्खइ = राज्य राजा की रक्षा करता है।
रज्जा रज्जु J
अपभ्रंश रचना सौरभ
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