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ससा
पाठ 46 अकर्मक क्रियाएँ (भाववाच्य में प्रयोग) संज्ञाएँ
सर्वनाम अकारान्त पुल्लिंग नरिंद हउं (पुरुषवाचक सर्वनामअकारान्त नपुंसकलिंग कमल
उत्तम पुरुष, प्रथमा एकवच आकारान्त स्त्रीलिंग
तुहं (पुरुषवाचक सर्वनाम___मध्यम पुरुष, प्रथमा एकवच सो (पुरुष) (पुरुषवाचक सर्वनाम
अन्य पुरुष, प्रथमा एकवच सा (स्त्री) (पुरुषवाचक सर्वनाम
अन्य पुरुष, प्रथमा एकवच अकर्मक क्रियाएँ
हस = हँसना, जग्ग = जागना, वड्ढ = बढ़ना, विअस = खिल
उपर्युक्त क्रियाएँ अकर्मक हैं। अकर्मक क्रियाएँ कर्तृवाच्य और भाववाच्य में प्रम होती हैं। अकर्मक क्रिया से भाववाच्य बनाने के लिए 'इज्ज', 'इय' प्रत्यय जोड़े जाते भाववाच्य में कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) हो जाता है और क्रिया में भावया के प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् 'अन्य पुरुष एकवचन' का प्रत्यय भी लगा दिया जाता भाववाच्य वर्तमानकाल तथा विधि एवं आज्ञा में बनाया जाता है। भविष्यत्काल में क्रि का भविष्यत्काल कर्तृवाच्य का रूप ही रहता है। भूतकाल के लिए भूतकालिक कृदन्त प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। भाववाच्य के प्रत्यय हस जग्ग वर्तमानकाल विधि एवं आ इज्ज हसिज्ज जग्गिज्ज हसिज्जइ । हसिज्जउ ।
हसियइ हसियउ इअ (इय) हसिअ(य) जग्गिय(अ) जग्गिज्जइ। जग्गिज्ज
जग्गियइ ।
जग्गियउ ।
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अपभ्रंश रचना सौर
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