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संदृष्टि नं.38
शतार युगल भाव (32) शतार, सहसार स्वर्ग में पर्याप्त अवस्था में 32 भाव होते हैं। शतार युगल के भावों का समस्त कथन सानत्कुमार युगल के समान ही जानना चाहिए। मात्र शतार युगल में पीत, पद्म लेश्या के स्थान पर पद्म शुक्ल लेश्या समझना चाहिए । संदृष्टि इस प्रकार है - दे. संदृष्टि (34) सानत्कुमार - माहेन्द्र स्वर्ग गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव मिथ्यात्व
सासादन
मिश्र
अविरत
संदृष्टि नं. 39
शतार युगल अपर्याप्त भाव (31) शतार, सहसार स्वर्ग में अपर्याप्त अवस्था में 31 भाव होते हैं। शतार सहसार स्वर्ग के भावों का समस्त कथन सानत्कुमार युगल अपर्याप्त अवस्था के समान ही जानना चाहिए । मात्र पीत, पद्म लेश्या के स्थान पर पद्म शुक्ल लेश्या समझना चाहिए । संदृष्टि इस प्रकार है - दे. संदृष्टि (35) सानत्कुमार - माहेन्द्र स्वर्ग अपर्याप्त
गुणस्थान| भाव व्युच्छित्ति |
भाव
अभाव ।
मिथ्यात्व
सासादन
अविरत
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