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__ संदृष्टि नं. 33 सौधर्म - ऐशान स्वर्ग अपर्याप्तक भाव (30) सौधर्म-ऐशान स्वर्ग में अपर्याप्त अवस्था में 30 भाव होते हैं। जो इस प्रकार हैं - सम्यक्त्व 3, कुशान 2, ज्ञान 3, दर्शन 3, क्षायो. लब्धि 5, देवगति, कषाय 4, पुल्लिंग, मिथ्यात्व, पीत लेश्या, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व पारिणामिक भाव 3। गुणस्थान मिथ्यात्व, सासादन और अविरत ये तीन होते हैं। संदृष्टि इस प्रकार हैगुणस्थान | भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव मिथ्यात्व |2 (मिथ्यात्व, | | 23 (कुज्ञान 2, चक्षु, 17 (सम्यक्त्व 3, ज्ञान 3, अभव्या ) |अचक्षु दर्शन, क्षायो
| अवधिदर्शन) लब्धि 5, देवगति, कषाय 4, पुल्लिंग, मिथ्यात्व, पीत लेश्या, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व,
पारिणामिक भाव 3) सासादन |2 (कुज्ञान 2 ) 21 (उपर्युक्त 23 - 19 (उपर्युक्त 7 +
मिथ्यात्व, अभव्यत्व) | मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
अविरत
2 (देवगति असंयम)
|26 (उपर्युक्त 21- 14 (कुज्ञान 2, मिथ्यात्व, कुज्ञान 2, + सम्यक्त्व | अभव्यत्व) 3, ज्ञान 3, अवधि दर्शन)
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