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संदृष्टि नं. 29 भवनत्रिक + कल्पवासी देवी भाव ( 30 )
पर्याप्त भवनत्रिक देव, देवी एवं कल्पवासी देवी इनके 30 भाव होते है । जो इस प्रकार है - सामान्य देवो के 33 भावो में से क्षायिक सम्यक्त्व, पद्म और शुक्ल लेश्या इसप्रकार तीन भाव कम करने पर शेष 30 भाव जानना चाहिए। इनके आदि के चार गुणस्थान होते है । दे. संदृष्टि 28
गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति
भाव
मिथ्यात्व 2 ( मिथ्यात्व
अभव्यत्व)
सासादन 3 ( कुज्ञान 3)
मिश्र
अविरत
0
2 (असंयम, देवगति)
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24 ( कुज्ञान 3, दर्शन 2, क्षायोपशमिक लब्धि 5, असंयम, | देवगति, कषाय 4, विवक्षित लिंग पीत
लेश्या, अज्ञान, असिद्धत्व, मिथ्यात्व, पारिणामिक भाव 3)
22 ( उपर्युक्त 24-2 (मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
-
25 ( क्षायो. सम्यक्त्व औप सम्यक्त्व, ज्ञान 3, दर्शन 3, क्षायो. लब्धि 5,
23 ( उपर्युक्त 22 + अवधि दर्शन, 3
| मिश्रज्ञान, कुज्ञान 3) कुज्ञान)
असंयम, देवगति,
कषाय 4, विवक्षित लिंग 1, पीत लेश्या, अज्ञान, असिद्धत्व,
जीवत्व, भव्यत्व)
(77)
अभाव
6 (सम्यक्त्व 2, ज्ञान 3, अवधि दर्शन)
8 ( उपर्युक्त 6 + मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
7 ( उपर्युक्त 8- अवधि दर्शन, 3 मिश्रज्ञान + 3
15 (कु ज्ञान 3, मिथ्यात्व
|अभव्यत्व)
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