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गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति
अविरत {4} {कृष्ण, नील, कापोत,
लेश्या,
असंयम }
देशविरत |{2}
(संयमासंयम, तिर्यंच गति)
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भाव
{32} {औपशमिक
सम्यक्त्व,
क्षायोपशमिक
सम्यक्त्व, मति, श्रुत, अवधिज्ञान,
चक्षु, अचक्षु, अवधिदर्शन,
क्षायोपशमिक पाँच लब्धि, तिर्यञ्चगति,
क्रोध, मान, माया, लोभ, तीन लिंग,
श्या 6, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व
{29} {औपशमिक
सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक
सम्यक्त्व, मति, श्रुत, अवधि ज्ञान चक्षु,
अचक्षु, अवधि दर्शन, क्षायोपशमिक पाँच
लब्धि, संयमासंयम, तिर्यंच गति, क्रोध, मान माया लोभ, स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, नपुंसक लिंग, पीत
पद्म, शुक्ल लेश्या असंयम,
असिद्धत्व, जीवत्व,
भव्यत्व }
(48)
अभाव
(6) {कुमति, कुश्रुत कु अवधि ज्ञान,
संयमासंयम, मिथ्यात्व,
अभव्यत्व}
(१) (कुमति, कुश्रुत, कुअवधि ज्ञान, कृष्ण, नील कापोत, लेश्या असंयम, मिथ्यात्व, अभव्यत्व}
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