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संदृष्टि नं. 4
घम्मा पृथ्वी {31 भाव) सामान्य नरक में कहे गये 33 भावों में से कृष्ण, नील, लेश्या कम करने पर प्रथम नरक में 31 भाव होते हैं क्योंकि यहां कृष्ण, नील, लेश्या का अभाव रहता है । घम्मा पृथ्वी में आदि के चार गुण स्थान ही होते हैं। गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव
1. 2} {मिथ्यात्व, |{24} {चक्षु अचमु.. |(1) {औपशमिक मिथ्यात्व अभव्यत्व |दर्शन, कुमति, श्रुत, सम्यक्त्व, क्षायिक
कुअवधि ज्ञान, सम्यक्त्व, मति, श्रुत क्षायोपशमिक पाँच अवधिज्ञान, अवधि लब्धि,
दर्शन,क्षायोपशमिक नरकगति,कापोत सम्यक्त्व) लेश्या, नपुंसक लिंग, चार कषाय, अज्ञान असिद्धत्व, असंयम, मिथ्यात्व, जीवत्व भव्यत्व, अभव्यत्व
2. {3} {कुमति, I (22} {चक्षु, अचक्षु |(9) {औपशमिक सासादन कुश्रुत, दर्शन, कुमति, कुश्रुत, सम्यक्त्व , क्षायिक कुअवधि ज्ञान}| कुअवधि ज्ञान सम्यक्त्व,मति, श्रुत
क्षायोपशमिक पाँच |अवधिज्ञान, अवधि लब्धि ,
|दर्शन,क्षायोपशमिक नरकगति,कापोत सम्यक्त्व, मिथ्यात्व, लेश्या, नपुंसक लिंग, अभव्यत्व) चार कषाय, अज्ञान, असिद्धत्व, असंयम, जीवत्व, भव्यत्व)
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