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________________ गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव अभाव 3. मिश्र (33) [चक्षुदर्शन, | (20) औपशमिक अचक्षुदर्शन, सम्यक्त्व, औपशमिक अवधिदर्शन, चारित्र, क्षायिक पाँच क्षायोपशमिक पाँच लब्धि, केवल ज्ञान,केवल लब्धि , चार गति, |दर्शन, क्षायिक सम्यक्त्व, लेश्या 6, तीन लिंग, क्षायिक चारित्र, मति श्रुत चार कषाय, अज्ञान अवधि मनः पर्यय ज्ञान, असिद्धत्व असंयम क्षायोपशमिक सम्यक्त्व जीवत्व, भव्यत्व, मति-सराग चारित्र, कुमति श्रुत -कुश्रुत, संयमांसंयम मिथ्यात्व अवधि कुअवधि मिश्र | अभव्यत्व + कुज्ञान 3 तीन ज्ञान] | मिश्रज्ञान 3] 4. अविरत 6 [नरक गति, (36) [औपशमिक 17[औपशमिक चारित्र, देवगति, सम्यक्त्व, क्षायिक क्षायिक पाँच लब्धि, कृष्ण, नील | सम्यक्त्व,मति श्रुत, केवलज्ञान, केवलदर्शन, कापोत | अवधिज्ञान चक्षुदर्शन, क्षायिक चारित्र लेश्याये, अचक्षुदर्शन, |मनः पर्यय ज्ञान, कुमति असंयम] | अवधिदर्शन, क्षायोप |कुश्रुत,कुअवधि ज्ञान शमिक पाँच लब्धि सराग चारित्र, क्षायोपशमिक संयमासंयम, मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, चार गति, अभव्यत्व लेश्या 6, तीन लिंग, चार कषाय,अज्ञान, असिद्धत्व असंयम जीवत्व, भव्यत्व (23) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002685
Book TitleBhav Tribhangi
Original Sutra AuthorShrutmuni
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherGangwal Dharmik Trust Raipur
Publication Year2000
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size6 MB
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