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संदृष्टि नं.82
उपशम सम्यक्त्व भाव (38) उपशम सम्यक्त्व में 38 भाव होते हैं जो इस प्रकार है - औपशमिक भाव 2, ज्ञान 4, दर्शन 3, क्षयो. लब्धि 5, संयमासंयम, सराग संयम, गति 4, कषाय 4, लिंग 3, लेश्या 6, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व भव्यत्व, जीवत्व। गुणस्थान अविरत आदि। होते हैं। संदृष्टि इस प्रकार है - गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव
1-6
अविरत 16 (नरक गति, 34 (उपशम सम्यक्त्व, | 4(उपशम चारित्र,
देव गति |ज्ञान 3, दर्शन 3, क्षायो| मनःपर्यय ज्ञान, असंयम,
लब्धि 5, गति 4, कषाय संयमासंयम, सराग
4, लिंग 3, लेश्या 6, | चारित्र) | अशुभ लेश्या
असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, भव्यत्व,
जीवत्व) देशसंयम | 2(संयमासंयम
19 (पूर्वोक्त 4+6 अविरत तिर्यचगति) अविरत
भाव व्यु.-संयमासयम) भावव्यु.+संयमासंयम) प्रमत्त
29 (उपशम सम्यक्त्व, | 19(उपशम चारित्र, संयत
ज्ञान 4, दर्शन 3, क्षायो. संयमासंयम, नरकादि 3 लब्धि 5, सराग संयम, | गति, अशुभ 3 लेश्या, मनुष्यगति, कषाय 4,
असंयम) लिंग 3, शुभ लेश्या 3, अज्ञान, असिद्धत्व,
भव्यत्व,जीवत्व) अप्रमत्त |2 (पीत, पद्म | 29 (उपर्युक्त ) | 9 (उपर्युक्त) संयत लेश्या) अपूर्व
[27 (उपर्युक्त 29-पीत, | 11 (9 पूर्वोक्त+ पीत करण
पद्म लेश्या) पद्म लेश्या) अनि. क. | 3 (लिंग 3) 27 (पूर्वोक्त) 11 (पूर्वोक्त) सवेदभाग अनि. क. 3 (क्रोध 24 (27 - लिंग 3) 14 ( उपर्युक्त 11+ लिंग अवेद आदि 3 भाग कषाय)
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