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भाव
अभाव
संदृष्टि नं. 48
औदारिक काययोग भाव (51) औदारिक काय योग में 51 भाव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 53 भावों में से नरक गति एवं देव गति कम करने पर 51 भाव शेष रहते हैं। गुणस्थान मिथ्यात्व आदि तेरह होते हैं। संदृष्टि इस प्रकार है - गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति मिथ्यात्व 2
32 (कुज्ञान 3, दर्शन |10 (दे. संदृष्टि 1) (दे. संदृष्टि 10/2, क्षायो. लब्धि 5,
मनुष्यगति, तियंच गति, लेश्या 6, कषाय4, लिंग 3, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व,
पारिणामिक भाव 3) सासादन 3( " ) 30 (उपर्युक्त 32 - 1216. " )
मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
मिश्र
(0)
20 (
"
)
17(
"
)
अविरत /- (अशुभ
लेश्या 3, असंयम)
31 (उपर्युक्त 30 - कुज्ञान 3, + मिश्र ज्ञान, अवधि दर्शन) 34 (सम्यक्त्व 3, ज्ञान 3, दर्शन 3, क्षायो. लब्धि 5, गति 2, लेश्या 6, कषाय 4, लिंग 3, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 2)
देश
संयत
31 (उपर्युक्त 34+ (संयमासंयम, संयमासंयम - अशुभ तिर्यंचगति) लेश्या 3, असंयम)।
| 20 (उपर्युक्त 17संयमासंयम + अशुभ लेश्या 3, असंयम)
31 (दे. संदृष्टि1)
प्रमत्त विरत
| 20 (उपर्युक्त 20- सराग संयम, मनःपर्ययज्ञान + संयमासंयम, तिर्यंचगति)
(91)
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