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संदृष्टि नं. 45 पंचेन्द्रिय और त्रसकाय भाव (53) पंचेन्द्रिय और त्रसकाय में गुणस्थानवत् 53 भाव होते हैं । इनके व्युच्छित्ति आदि का कथन गुणस्थानवत् ही जानना चाहिए । गुणस्थान 14 होते हैं। इनकी संदृष्टि निम्न प्रकार है - दे. संदृष्टि । गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव मिथ्यात्व । 2
19
अभाव
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सासादन
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मिश्र अविरत देश संयम प्रमत्त संयत अप्रमत्त संयत अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सवेद अनिवृत्तिकरणअवेद सूक्ष्मसाम्पराय उपशांत मोह क्षीण मोह सयोग केवली अयोग केवली
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