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१०. धर्मशिक्षाप्रकरण
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संज्ञक । श्री बुद्धिमुनिजी गणि सम्पादित 'वैराग्यशतकादिपंचग्रंथाः' में प्रकाशित। संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर की दो पत्रात्मक सटिप्पण प्रति है जिसकी लेखन प्रशस्ति इस प्रकार है - ।। संवत् समुद्रपावकगचरणगणाधिपदशनवर्षे श्रीजेसलमेरौ । श्रीमजिनचन्द्रसूरिराजशिष्य समयराजमुनिना लेखि पं० रत्ननिधानमुनिना पठनेयं ।। संघपट्टक संज्ञक । जिनदत्तसूरि ज्ञान भंडार, सूरत द्वारा साधुकीर्ति, हर्षराज, लक्ष्मीसेन रचित टीकाओं सह प्रकाशित। संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर की है। अनुमानतः लेखन १६वीं शती का है। प्रति सं० २४२८, पत्र सं० १ है। शृंगारशतकाव्य श्री जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भंडार इंदौर, बंडल सं० १२, प्रति सं० ९८, पत्र सं० २२, प्रति शुद्ध है। बीच बीच में कई पंक्तियाँ छूट गईं हैं। लेखन प्रशस्ति इस प्रकार है" ।। संवत् १५०७ वर्षे लिखितं मुनि ज्ञानकीर्तिः" इस प्रति में टिप्पणी दी है। वे यहाँ भी टिप्पण के रूप में दिये है। इस प्रति में कई स्थान पर पाठ छूटे हुए हैं। प्रश्नोतरैकषष्टिशतकाव्य संज्ञक । जैन स्तोत्र रत्नाकर द्वितीय भाग में प्रकाशित। संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर, ले० १७वीं शती, कमलकीर्ति लिखित, पत्र सं० ९, शुद्ध।
१३. मु०
प्रस्तावना
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