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________________ बी० संज्ञक । श्री बुद्धिमुनिजी गणि सम्पादित पिंडविशुद्धिप्रकरण टीकात्रयोपेतम् नाम के जिनदत्तसूरि ज्ञान-भंडार, बम्बई से मुद्रित। संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर, स्वाध्याय पुस्तिका, लेखन अनुमानतः १५वीं शती, पत्र संख्या ४५४-४५८ श्रावकव्रतकुलकम् १५वीं शती की २२९ पत्रात्मक लिखित प्रति के आधार से श्री भंवरलालजी नाहटा लिखित प्रेस कॉपी से। पौषधविधिप्रकरण संज्ञक । 'सिरिपयरणसंदोह' ऋषभदेव केसरीमल जैन श्वेताम्बर संस्था, रतलाम से मुद्रित। प्रतिक्रमण-समाचारी संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर, प्रति सं० ८२१२, पत्र संख्या २ है। प्रति १६वीं शती लिखित शुद्ध है। संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर, प्रति सं० २७०४ पत्र सं० १ है। १७वीं शती लिखित है। संज्ञक । सिरिपयरणसंदोह में मुद्रित। स्वप्रसप्तति सिरिपयरणसंदोह में मुद्रित और स्व-संग्रह १६वीं शताब्दी की लिखित प्रति से द्वादशकुलकानि संज्ञक । अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर, प्रति सं० २४२५, पत्र सं० ८ हैं। प्रति १५वीं शती की लिखित शुद्र है। संज्ञक । जिनदत्तसूरि ज्ञान भंडार, सूरत से प्रकाशित। बी० सी० मु० प्रस्तावना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002681
Book TitleJinvallabhsuri Granthavali
Original Sutra AuthorVinaysagar
Author
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2004
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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