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जय मोहतिमिरहयसिद्धिसरणि, पायडणपयडतरतरुणतरणि । जय समयमयणकरिवियडगंड- पाडणपंचाणण अइपयंड ॥ ७ ॥ जय निविडनियडिलयपरसुसरिस, अमरिसविसनिरसणअमयविरस । जइ रुद्धविरुद्धविलासहेल, सुहबुद्धिसिन्धुहिमवन्तसेल ॥ ८॥ जय संजमसलिलसयंभुरमण-चलकरणतुरंगमपसरदमण । जय अखिलियसुलक्खणकलियदेह, केवलसिरिनिरुवमवासगेह ॥ ९॥
पुन्ननिम्माण निहयअवमाण
प्रथमजिनस्तवनम्
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[६-९ पादाकुलक]
सुररइयसम्माण,
पंचधणुसयपमाण ॥ दालिद्दविद्दवण,
जय
जय
जय पणयजंतु गण
जय चिंतियत्थसंपायणसमत्थ[वण] ॥ १०॥
जय
सग्ग- अपवग्ग-संसग्ग- वरमग्ग,
जय
भग्गदोहग्ग,
सयलग्गसोहग्ग ॥
जय
भवभवणपरिचुक्क ।
सत्तभयमुक्क जय दंत सुपसंत, जय कंत भयवंत ॥ ११॥ भीसणभवदवतवियभवियवणसमणजलहर, गहिर महामुणिमणसमुद्दनंदणछणससहर । निम्मलजच्चसुवन्नवन्न पडिहयमयविसहर, हासुज्जलजस जिस दुरियई मह अवहर ॥ १२ ॥
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लोहसुजोहमडप्फरु भंजणु, कुसुमयसयरयपलयपहंजणु । जणियसयलजपजणमणरंजणु, जयइ जुयाइजिणिंदु निरंजणु ॥ १३ ॥ उक्कडकोहकंदनिक्कंदणु, सिवपुरगमणपउणवरसंदणु । नाभिनरिंदनयणआणंदणु, वंदहु निरु मरुदेविहि नंदणु ॥ १४ ॥
[ वस्तुवदन काव्य]
[१३-१४ पद्धतिका ]
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