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________________ रचना समय 'परमद्यापिभगवतामवदातचरितनिधीनां श्रीमरुकोट्टसप्तवर्षप्रमितकृतनिवास-परिशीलितसमस्तागमानांसमग्रगच्छादृत सूक्ष्मार्थसिद्धान्तविचारसार-षडशीति-सार्द्धशतकाख्यकर्मग्रन्थ-पिण्डविशुद्धि-पौषधविधिप्रतिक्रमणसामाचारी-सङ्घपट्टक-धर्मशिक्षा-द्वादशकुलकरूपप्रकरणप्रश्रोत्तरशतक-शृङ्गारशतकनानाप्रकारविचित्रचित्र-काव्य-शतसंख्यस्तुतिस्तोत्रादिरूपकीर्तिपताका सकलं महीमण्डलं मण्डयन्ती विद्वज्जनमनांसि प्रमोदयति।' वर्तमान में उनके द्वारा निर्मित कोई महाकाव्य तो प्राप्त नहीं है, किन्तु जो साहित्य प्राप्त है उससे स्पष्ट है कि जिनवल्लभगणि सिद्धान्तवेत्ता, विधिवेत्ता, आचारवेत्ता, स्वप्रशास्त्रवेत्ता, उपदेष्टा, काव्यनिर्माता, स्तोत्रनिर्माता, अवश्य थे। उनके द्वारा निर्मित साहित्य और मूर्धन्य टीकाकारों द्वारा निर्मित टीका साहित्य की सूची संलग्न है:क्र० ग्रंथनाम टीका नाम टीकाकार १. सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार प्रकरण भाष्य * अज्ञात कर्तृक टिप्पण * रामदेवगणि १२वीं श० चूर्णि * मुनिचन्द्रसूरि सं० ११७० वृत्ति . धनेश्वराचार्य सं० ११७१ वृत्ति * महेश्वराचार्य १२वीं शता० हरिभद्रसूरि १२वीं शता० वृत्ति * चक्रेश्वराचार्य १२वीं शता० प्राकृत वृत्ति * अज्ञात कर्तृक अज्ञात कर्तृक २. आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण अज्ञात कर्तृक भाष्य * अज्ञात कर्तृक टिप्पण * रामदेवगणि १२वीं शता० वृत्ति। हरिभद्रसूरि सं० ११७२ वृत्ति। मलयगिरि १२वीं शता० वृत्ति यशोभद्रसूरि १२वीं शता० विवरण* मेरुवाचक १६वीं शता० टीका अज्ञात कर्तृक वृत्ति * टिप्पणक * प्रस्तावना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002681
Book TitleJinvallabhsuri Granthavali
Original Sutra AuthorVinaysagar
Author
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2004
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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