________________
१०४
श्रीमद् राजचन्द्र
वेत्ता सम्पूर्ण मार्गके जाननेवाले थे, यह बात तब तक नहीं मानी जा सकती जब तक इस विषयका कोई प्रबल प्रमाण न मिले । इस प्रकारका भविष्य एक श्रद्धा पर अवलम्बित प्रमाण है और यह अनुभवमें नहीं आता कि अन्य प्रमाणोंसे इसमें बाधा न आवेगी।
१६ वाँ प्रश्न-बाइबिलमें यीशू ख्रीष्टके सम्बन्धमें कई चमत्कार-पूर्ण बातें लिखी हैं ?
उत्तर-जिस शरीरमेंसे जीव निकल गया हो और फिर उसी जीवको उसी शरीरमें प्रविष्ट किया गया हो अथवा किसी अन्य जीवको उसी शरीरमें प्रविष्ट किया गया हो तो यह बिलकुल असंभव है---ऐसा नहीं हो सकता । और यदि ऐसा हो तो फिर कर्मादिकोंकी सब व्यवस्था निष्फल हो जाय । किन्तु हाँ, यह माना जा सकता है कि योगसिद्धिसे कितने ही चमत्कार प्राप्त हो सकते हैं और ऐसे कुछ चमत्कार यीशूको भी प्राप्त हो गये हों तो यह कोई नहीं कह सकता कि वे सर्वथा मिथ्या हैं या असंभव हैं। ऐसी सिद्धियाँ आत्माके ऐश्वर्यकी तुलनामें तुच्छ हैं; आत्माके ऐश्वर्यका इनसे अनन्त गुणा महत्त्व है । यह विषय साक्षात्में पूछने योग्य है।
१७ वाँ प्रश्न--क्या इस बातकी खबर हमें हो सकती है कि भविष्यमें हमारा जन्म कहाँ होगा; अथवा भूतकालमें हम कहाँ थे ?
उत्तर-हाँ, यह हो सकता है । इन बातोंको वह मनुष्य जान सकता है जिसका ज्ञान निर्मल है । जिस भाँति बादल आदि चिह्नों परसे वर्षाका अनुमान किया जा सकता है उसी भाँति जीवकी इस भवकी चेष्टाओं परसे यह बात जानी जा सकती है कि उसके पूर्व कारण कैसे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org