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________________ 口全全全全全全全全全全全全全全全会公 paddindi n g धन्यवाद ___ समन्तभद्र-भारतीके अंगस्वरूप 'स्तुतिविद्या' नामक इस सुन्दर ग्रन्थके प्रकाशनका श्रेय श्रीमान् बाबू नन्दलालजी जैन सुपुत्र सेठ रामजीवनजी सरावगी कलकत्ताको प्राप्त है, जिन्हों. ने श्रत-सेवाकी उदार भावनाओंसे प्रेरित होकर दो वर्ष हुए वीरसेवामन्दिरको अनेक ग्रन्थों के अनुवादादि-सहित प्रकाशनार्थ दस हज़ार र रुपयेकी सहायता प्रदान की थी और जिससे अन्य दो ग्रन्थोंके अलावा श्रीविद्यानन्दस्वामीका 'आप्तपरीक्षा' नामका महान् ग्रन्थ संस्कृत स्वोपज्ञटीका और हिन्दी अनुवादादिके साथ प्रकाशित हो चुका है। यह ग्रन्थ भी उसी आर्थिक सहायतासे प्रकाशित हो रहा है। अतः प्रकाशनके इस शुभ अवसरपर आपका साभार स्मरण करते हुए आपको हार्दिक धन्यवाद समर्पित है। जुगलकिशोर मुख्तार अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर BeekKARRRRRRREED Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002677
Book TitleStutividya
Original Sutra AuthorSamantbhadracharya
Author
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1912
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, Worship, P000, & P015
File Size9 MB
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