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अर्थात्-तीन-तीन नक्षत्रों का एक-एक वर्ग स्थापित कर फल बताया है
वर्गक्रम १ जन्म नक्षत्र १० कर्म नक्षत्र
१९ आधान नक्षत्र २ संपत्कर नक्षत्र ११ संपत्कर नक्षत्र
२० संपत्कर नक्षत्र ३ विपत्कर नक्षत्र १२ विपत्कर नक्षत्र २१ विपत्कर नक्षत्र ४ क्षेमकर नक्षत्र १३ क्षेमकर नक्षत्र
२२ क्षेमकर नक्षत्र ५ प्रत्वर नक्षत्र १४ प्रत्वर नक्षत्र
२३ प्रत्वर नक्षत्र ६ साधक नक्षत्र १५ साधक नक्षत्र
२४ साधक नक्षत्र ७ निधन नक्षत्र १६ निधन नक्षत्र
२५ निधन नक्षत्र ८ मित्र नक्षत्र १७ मित्र नक्षत्र
२६ मित्र नक्षत्र ९ परममित्र नक्षत्र १८ परममित्र नक्षत्र २७ परममित्र नक्षत्र
उपर्युक्त नक्षत्रों का वर्गीकरण, जिसे तारा कहा जाता है, आज तक इसी प्रकार का चला आ रहा है । यों तो जातक ग्रन्थों के फलादेश में बहुत संशोधन और परिवर्धन हुए हैं; पर तारा का फलादेश जैसे का तैसा ही रह गया है। इस छोटे-से ग्रन्थ में ग्रह, उल्का, विद्युत्, भूकम्प, दिग्दाह आदि का फल भी संक्षेप में बताया है, ग्रहों के विशेष फलादेश के कथन में 'न कृष्णपक्षे शशिनः प्रमावः' कहकर कृष्णपक्ष में चन्द्रमा को सर्वथा निर्बल बताया है और अन्य ग्रहों के बलाबलानुसार कार्यों के करने का विधान है।
सूर्यप्रज्ञप्ति
__ वेदांग-ज्योतिष के समान प्राचीन ज्योतिष का प्रामाणिक और मौलिक ग्रन्थ सूर्यप्रज्ञप्ति है। इस ग्रन्थ की भाषा प्राकृत है। मलयगिरि सूरि ने संस्कृत टीका लिखी है। इस ग्रन्थ में प्रधान रूप से सूर्य के गमन, आयु, परिवार संख्या का निरूपण किया गया है। इसमें जम्बूद्वीप में दो सूर्य और दो चन्द्रमा बताये हैं, तथा प्रत्येक सूर्य के अट्ठाईस-अट्ठाईस नक्षत्र अलग-अलग कहे गये हैं। इन सूर्यों का भ्रमण एकान्तर रूप से होता है, इससे दर्शकों को एक ही सूर्य दृष्टिगोचर होता है । इसमें दिन, मास, पक्ष, अयन आदि का कथन करते हुए दिनमान के सम्बन्ध में बताया है
तस्से आदिश्वरस्स संवच्छरस्स सइंअट्ठारसमुहुप्ते दिवसे भवति । सइंअट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सइंदुवालिसमुहुत्ते दिवसे भवति सइंदुबालसमुहूत्ता राती भवति । पढमे छम्मासे अस्थि भट्ठारसमुहुत्ता राती भवति । दोच्च छम्मासे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे णस्थि अट्ठारस मुहुत्ता राती अस्थि दुवाबसमुहुत्ते दिवसे पढमे छम्मासे दोच्च्चे छम्मासे णस्थि ।। अर्थात्-उत्तरायण में सूर्य लवणसमुद्र के बाहरी मार्ग से जम्बूद्वीप की ओर आता है और इस मार्ग के प्रारम्भ में सूर्य की चाल सिंह गति, भीतरी जम्बूद्वीप के आते-आते
प्रथमाध्याय
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