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________________ अर्थात् — युग का प्रथम अयन माघ शुक्ला प्रतिपदा को धनिष्ठा नक्षत्र में, द्वितीय अयन श्रावण शुक्ला सप्तमी को चित्रा नक्षत्र में, तृतीय अयन माघ शुक्ला त्रयोदशी को आर्द्रा नक्षत्र में, चतुर्थ अयन श्रावण कृष्णा चतुर्थी को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में, पांचवां अयन माघ कृष्णा दशमी को अनुराधा नक्षत्र में, छठा अयन श्रावण शुक्ला प्रतिपदा को आश्लेषा नक्षत्र में, सातवाँ माघ शुक्ला सप्तमी को अश्विनी नक्षत्र में, आठव श्रावण शुक्ला त्रयोदशी को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में, नवाँ माघ कृष्णा चतुर्थी को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में और दसवाँ अयन श्रावण कृष्णा दशमी को रोहिणी नक्षत्र में माना गया है । दिनमान का कथन करते हुए उसकी हानि-वृद्धि का प्रमाण बताया है— धर्मवृद्धिरपां प्रस्थः क्षपाहास उदग्गतौ । दक्षिणे तौ विपर्यासः षण्मुहूर्त्ययनेन तु ॥ ८ ॥ अर्थात् उत्तरायण सूर्य में एक प्रस्थ जल निकलने के काल प्रमाण - छह मुहूर्त दिन की वृद्धि होती है, और इतने ही मुहूर्त रात्रि का क्षय होता है । दक्षिणायन में विपरीतछह मुहूर्त रात्रि की वृद्धि और इतने ही मुहूर्त दिन का ह्रास होता है । अर्थात् उत्तरायण में सबसे बड़ा दिन १८ मुहूर्त - ३६ घटी का और रात १२ मुहूर्त - २४ घटी की होती है । दक्षिणायन में सबसे बड़ी रात १८ मुहूर्त और दिन १२ मुहूर्त का होता है । इस एक नाक्षत्र वर्ष ३२७ ७ दिन का, और अधिक माससहित एक चान्द्र ग्रन्थ में एक चान्द्र वर्ष ३५४ दिन र मुहूर्त का, सावन वर्ष ३६० दिन का, सौर वर्ष ३६६ दिन का वर्ष ३८३ दिन २९३ मुहूर्त का बताया गया है। सावन मास और ६७ नाक्षत्र मास बताये हैं। इस प्रकार कहा है एक युग में सौर दिन " " "" 19 71 33 33 = १८३० = १८६० ३० - १८३५ चान्द्र भगण ६७ ,, चान्द्र सावन दिन १७६८ " एक सौर वर्ष में नक्षत्रोदय ३६७ = १८० एक अयन से दूसरे अयन पर्यन्त सौर दिन दूसरे अयन तक सावन दिन १८३ एक अयन ऋक् ज्योतिष में एक चान्द्र मास में २९३३ दिन और एक तिथि में २९३३ मुहूर्त बताये गये हैं । इसमें नक्षत्र गणना कृत्तिका और घनिष्ठा से मिलती है । नक्षत्रों का नामकरण निम्न प्रकार है 13 31 "" चान्द्र मास सावन दिन 11 17 चान्द्र दिन क्षय दिन भगण या नक्षत्रोदय एक युग में ६० पंचवर्षीय एक युग के Jain Education International For Private & Personal Use Only = १८००. ६२ = = सौर मास, ६१ दिनादि का मान = = भारतीय ज्योतिष www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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