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उच्च का मंगल या सूर्य हो तो अवश्य ही कार्यसिद्धि होती है। दशमेश का चन्द्रमा अथवा लग्नेश के साथ इत्थशाल योग हो और चन्द्रमा की उसके ऊपर दृष्टि हो तो कार्य सिद्ध होता है। लग्न स्थान में मंगल हो और उसपर गुरु की दृष्टि हो तो कार्य सिद्ध होता है। शनि का नवांश लग्न में हो तथा लग्न में राहु अथवा केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो तो कार्य सफल नहीं होता। दशम या दशमेश पापग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो कार्य का नाश होता है । पंचमेश और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो बड़ी सफलता के साथ कार्य सिद्ध होता है । चतुर्थेश या दशमेश का वक्री होना कार्यसिद्धि में बाधक है। भोजन सम्बन्धी प्रश्न . आज मैंने कितनी बार भोजन किया है और कैसा भोजन किया है, इस प्रश्न के उत्तर को समझने के लिए लग्न स्वभाव का विचार करना चाहिए। यदि प्रश्नलग्न स्थिर हो तो एक बार भोजन, द्विस्वभाव हो तो दो बार भोजन और चर लग्न हो तो कई बार भोजन किया है, यह समझना चाहिए। यदि चन्द्रमा लग्न में हो तो नमकीन, मंगल हो तो कड़ वा तथा खट्टा, गुरु हो तो मीठा, सूर्य हो तो तिक्त, शुक्र हो तो स्निग्ध और बुध लग्न में हो तो समस्त रसों का भोजन किया है। शनि लग्न में हो तो कषायला भोजन किया है, यह कहना चाहिए। भोजन के सम्बन्ध में चन्द्रमा, गुरु, मंगल से भी विचार करना चाहिए । ज्योतिष में सूर्य का कटु रस, चन्द्रमा का नमकीन, मंगल का तिक्त, बुध का मिश्रित, गुरु का मधुर, शुक्र का खट्टा और शनि का कषायला रस कहा है । जो ग्रह लग्न में हो अथवा लग्न को देखता हो, उसी के अनुसार भोजन का रस समझना चाहिए। चन्द्रमा जिस ग्रह के साथ इत्थशाल योग कर रहा हो, उस ग्रह का रस भोजन में प्रधान रूप से रहता है । लग्न में राहु या शनि सूर्य से दृष्ट हों तो भोजन अच्छा नहीं मिलता या अभाव रहता है । विवाह प्रश्न
प्रश्नलग्न से विवाह के सम्बन्ध में विचार करते समय सप्तमेश का लग्नेश अथवा चन्द्रमा के साथ इत्थशाल योग हो तो शीघ्र ही विवाह होता है। यदि लग्नेश अथवा चन्द्रमा सप्तम भाव में हो तो भी शीघ्र विवाह होता है। सप्तमेश का जिस ग्रह के साथ इत्थशाल योग हो और वह ग्रह निर्बल, पापयुक्त या पापदृष्ट हो तो विवाह नहीं होता अथवा बहुत बड़ी परेशानी के बाद विवाह होता है । सप्तम भाव में पापग्रह हों अथवा अष्टमेश हो तो विवाह होने के पश्चात् पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु होती है तथा विवाह अत्यन्त अशुभ माना जाता है। सप्तम स्थान पर अथवा सप्तमेश पर शुभग्रह की दृष्टि हो तो विवाह तीन महीने के मध्य में हो जाता है। लग्नेश, सप्तमेश तथा चन्द्रमा इन तीनों ग्रहों के स्वभाव, गुण, स्थान, दृष्टि आदि के द्वारा विवाह प्रश्न का उत्तर देना चाहिए । १९८
मारतीय ज्योतिष
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