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कुछ अधिक दिनों तक चलती है; पर अन्त में विजयलाभ होता है। मुकदमे के प्रश्न में लग्न, पंचम और षष्ठ तथा इन स्थानों के स्वामियों से विचार करना चाहिए । लग्न के निर्बल होने से विजय की सम्भावना नहीं रहती। लग्नेश और पंचमेश भी हीनबल हों या इनके ऊपर क्रूर ग्रह की दृष्टि हो तो नाना प्रकार के कष्ट सहन करने पड़ते हैं तथा मुक़दमे में पराजय होती है । चन्द्रमा लग्न या पंचम को देखता हो तथा उसका लग्नेश या पंचमेश के साथ इत्थशाल योग हो तो भी विजयलाभ होता है।
पृच्छक से किसी फूल का नाम पूछकर उसकी स्वर संख्या को व्यंजन संख्या से गुणा कर दें; गुणनफल में पृच्छक के नाम के अक्षरों की संख्या जोड़कर योगफल में ९ का भाग दें। एक शेष में शीघ्र कार्यसिद्धि, ०।२।५ में विलम्ब से कार्यसिद्धि और ४।६।८ शेष में कार्यनाश तथा अवशिष्ट शेष में कार्य मन्दगति से होता है ।
पृच्छक के नाम के अक्षरों को दो से गुणा कर गुणनफल में ७ जोड़ दे। इस योगफल में तीन का भाग देने पर सम शेष में कार्यनाश और विषम शेष में कार्यसिद्धि समझना चाहिए।
पृच्छक से एक से लेकर नौ तक की अंक संख्या में से कोई भी अंक पूछना चाहिए + बतायी गयी अंक संख्या को उसके नाम की अक्षर संख्या से गुणा कर देना चाहिए । इस गुणनफल में तिथि-संख्या और प्रहर संख्या को जोड़ देना चाहिए । तिथि की गणना शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से होती है, अतः शुक्लपक्ष की प्रतिपदा की संख्या १, द्वितीया २ इसी प्रकार अमावस्या की ३० मानी जाती है। वार संख्या रविवार की १, सोमवार २, मंगल ३ इसी प्रकार उत्तरोत्तर बढ़ती हुई शनि की ७ संख्या मानी गयी है। उपर्युक्त योग संख्या में ८ का भाग देने पर ०१७ शेष में कार्यसिद्धि, मतान्तर से ११७ में विलम्ब से सिद्धि, २।४।६ में सिद्धि और ३।५ शेष में विलम्ब से सिद्धि होती है।
पृच्छक यदि ऊपर देखता हुआ प्रश्न करे तो कार्यसिद्धि और जमीन को देखता हुमा प्रश्न करे तो विलम्ब से कार्यसिद्धि होती है। जमीन देखते समय उसकी दृष्टि किसी गड्ढे या नीचे स्थान की ओर हो तो कार्यसिद्धि नहीं होती। अपने शरीर को खुजलाते हुए प्रश्न करे तो विलम्ब से कार्यसिद्धि; जमीन खरोंचता हुआ प्रश्न करे तो कार्य असिद्धि एवं इधर-उधर देखता हुआ प्रश्न करे तो विलम्ब से कार्यसिद्धि होती है।
____ मेष, मिथुन, कन्या और मीन लग्न में प्रश्न किया गया हो तो कार्यसिद्धि; तुला, कर्क, सिंह और वृष लग्न में प्रश्न किया गया हो तो विलम्ब से सिद्धि एवं वृश्चिक, धनु, मकर और कुम्भ में प्रश्न किया गया हो तो प्रायः कार्य की सिद्धि नहीं होती। मतान्तर से धनु और कुम्भ लग्न में प्रश्न किये जाने पर कार्यसिद्धि मानी गयी है। मकर लग्न में प्रश्न करने पर कार्यसिद्धि नहीं होती। यदि लग्नेश चतुर्थ, पंचम और दशम भाव में से किसी भी स्थान में स्थिर हो तो कार्य की सिद्धि होती है। चन्द्रमा या चतुर्थेश या दशमेश में से कोई भी हो तो कार्य सफल होता है। दशम भाव में
पंचम अध्याय
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