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________________ अरबों से लिया गया और इस क्रम से बना हुआ अंकगणित 'अल् गोरिट्मस' नाम से प्रसिद्ध हुआ।'' .. [६] कॉण्ट ऑर्मस्टर्जन ने लिखा है कि "वेली द्वारा किये गये गणित से यह प्रतीत होता है कि ईसवी सन् से ३००० वर्ष पूर्व में ही भारतीयों ने ज्योतिषशास्त्र और भूमितिशास्त्र में अच्छी पारदर्शिता प्राप्त कर ली थी।" [७] कर्नल टॉड ने अपने राजस्थान नामक ग्रन्थ में लिखा है कि "हम उन ज्योतिषियों को कहाँ पा सकते हैं, जिनका ग्रहमण्डल-सम्बन्धी ज्ञान अब भी युरॅप में आश्चर्य उत्पन्न कर रहा है।" [८] मिस्टर मारिया ग्राम की सम्मति है कि "समस्त मानवीय परिष्कृत विज्ञानों में ज्योतिष मनुष्य को ऊँचा उठा देता है ।...इसके प्रारम्भिक विकास का इतिहास संसार की मानवता के उत्थान का इतिहास है। भारत में इसके आदिम अस्तित्व के बहुत-से प्रमाण मौजूद हैं।" [९] मिस्टर सी. वी. क्लार्क एफ़. जी. एफ़. कहते हैं कि "अभी बहुत वर्ष पीछे तक हम सुदूर स्थानों के अक्षांश ( Longitudes ) के विषय में निश्चयात्मक रूप से ज्ञान नहीं रखते थे, किन्तु प्राचीन भारतीयों ने ग्रहण-ज्ञान के समय से ही इन्हें जान लिया था। इनकी यह अक्षांश, रेखांशवाली प्रणाली वैज्ञानिक ही नहीं, अचूक है।" [१०] प्रो. विल्सन ने कहा है कि "भारतीय ज्योतिषियों को प्राचीन खलीफ़ों विशेषकर हारूँरशीद और अलमायन ने भलीभाँति प्रोत्साहित किया। वे बग़दाद आमन्त्रित किये गये और वहां उनके ग्रन्थों का अनुवाद हुआ।" [११ ] डॉक्टर राबर्टसन का कथन है कि “१२ राशियों का ज्ञान सबसे पहले भारतवासियों को ही हुआ था। भारत ने प्राचीन काल में ज्योतिर्विद्या में अच्छी उन्नति की थी।" [१२] प्रो. कोलबुक और बेवर साहब ने लिखा है कि "भारत को ही सर्वप्रथम चान्द्रनक्षत्रों का ज्ञान था। चीन और अरब के ज्योतिष का विकास भारत से ही हुआ है। उनका क्रान्तिमण्डल हिन्दुओं का ही है। निस्सन्देह उन्हीं से अरबवालों ने इसे लिया था।" १. एन्साइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटैनिका : जिल्द १७. पृ. ६२६ । २. Theogony of the Hindus : p. 37. ३. टॉड राजस्थान भूमिका : भाग पृ. ५-११ । ४. Letters on India : p. 100-111. ५. Theogony of Hindus : p. 37. ६. Ancient and Mediaeval India : Vol. I, p. 114.. ७. भारतीय सभ्यता और उसका विश्वव्यापी प्रभाव : पृ. ११७ । भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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