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________________ भौम- - लग्न भाव को मंगल पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो उग्र प्रकृति, प्रथमं भार्याका २१ या २८ वर्ष की अवस्था में नाश करनेवाला, राजमान्य और भूमि से धन प्राप्त करनेवाला; द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो बवासीर रोगी, स्वल्पधनी, कुटुम्ब से पृथक् रहनेवाला, परिश्रमी और खिन्न चित्त रहनेवाला; तीसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो बड़े भाई के सुख से रहित, पराक्रमी, भाग्यवान् और एक विधवा बहनवाला; चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो माता-पिता के सुख से रहित, शारीरिक कष्टधारक, २८ वर्ष की अवस्था तक दुखी पश्चात् सुखी और परिश्रम से जी चुरानेवाला; पाँचवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो अनेक भाषाओं का ज्ञाता, विद्वान्, सन्तान कष्टवाला; उपदंश रोगी और व्यभिचारी; छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शत्रुनाशक, मातुल कष्टकारक, रुधिर विकारी और कीर्तिवान्; सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो परस्त्रीरत, कामी, प्रथम भार्या का २१ या २८ वर्ष की आयु में वियोगजन्य दुख प्राप्त करनेवाला और मद्यपायी; आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धन- कुटुम्बनाशक, ऋणग्रस्त, परिश्रमी, दुखी और भाग्यहीन; नवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो बुद्धिमान्, धनवान्, पराक्रमी और धर्म में अरुचि रखनेवाला; दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो राज्यसेवी, मातृ-पितृ कष्टकारक, सुखी और भाग्यवान्; ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धनवान्, सन्तानकष्ट से पीड़ित और कुटुम्ब के दुख से दुखी एवं बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो कुमार्गगामी, मातुलनाशक, बवासीर और भगन्दर रोगी, शत्रुनाशक और उग्रप्रकृति होता है । बुध - लग्नभाव को बुध पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक गणितज्ञ, सुन्दर, व्यापारी, व्यवहारकुशल, मिलनसार और लब्धप्रतिष्ठ; द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यापार से धन लाभ करनेवाला, कुटुम्ब-विरोधी, स्वतन्त्र विचारक, हठी और अभिमानी; तीसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो भाग्यवान्, प्रवासी, भ्रातृसुख युक्त, सत्संगी और धार्मिक; चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो राज्य से लाभ प्राप्त करनेवाला, भूमि तथा वाहन के सुख से परिपूर्ण, श्रेष्ठ बुद्धिवाला और विद्वान्; पाँचवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो गुणवान्, विद्वान्, धनवान्, शिल्पकार और प्रथम पुत्र उत्पन्न करनेवाला; छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो वातरोगी, कुमार्गव्ययी, शत्रुओं से पीड़ित और अन्तिम जीवन में धन संचय करनेवाला; सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो सुन्दर, सुशील भार्यावाला, व्यापारी, गणितज्ञ, चतुर और कार्यदक्ष; आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो भ्रमणशील, दुखी, कुटुम्बविरोधी एवं प्रवासी; नौवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो हँसमुख, धनोपार्जन करनेवाला, भ्रातृ-द्वेषी, राजाओं से मिलनेवाला, गायन-प्रिय और विलासी; दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो राजमान्य, कीर्तिमान्, सुखी, कुलीन और कुलदीपक; ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धनार्जन करनेवाला, सन्तान से युक्त, तुतीयाध्याय २६९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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