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________________ प्राप्त करनेवाला; छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शत्रुभयकारक, दुखी, वामनेत्ररोगी, ऋणी और मातुल को नष्ट करनेवाला; सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जीवन-भर ऋणी, २२-२३ वर्ष की आयु में स्त्रीनाशक, व्यापारी, उग्न स्वभाववाला और प्रारम्भ में दुखी तथा अन्तिम जीवन में सुखी; आठवें भाव को देखता हो तो बवासीर रोगी, व्यभिचारी, मिथ्याभाषी, पाखण्डी और निन्दित कार्य करनेवाला; नौवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धर्मभीरु, बड़े भाई और साले के सुख से रहित; दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो राजमान्य, धनी, मातृनाशक तथा उच्च राशि का सूर्य हो तो माता, वाहन और धन का पूर्ण सुख प्राप्त करनेवाला; ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धन लाभ करनेवाला, प्रसिद्ध व्यापारी, प्रथम सन्ताननाशक, बुद्धिमान्, विद्वान्, कुलीन और धर्मात्मा एवं बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो प्रवासी, नेत्ररोगी, कान या नाक पर तिल या मस्से का चिह्नधारक, शुभ कार्यों में व्यय करनेवाला, मामा को कष्टकारक एवं सवारी का शौक़ीन होता है। चन्द्रमा-लग्न को चन्द्रमा पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक प्रवासी, व्यवसायी, भाग्यवान्, शौक़ीन, कृपण और स्त्रीप्रेमी; द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो अधिक सन्ततिवाला, सामान्य सुखी, ८-१० वर्ष की अवस्था में शारीरिक कष्टयुक्त, धन हानिकारक, जल में डूबने की आशंकावाला और चोट, घाव, खरोंच आदि के दुख को प्राप्त करनेवाला; तृतीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धार्मिक, प्रवासी, अधिक बहन तथा कम भाईवाला, २४ वर्ष की अवस्था से पराक्रमी, सत्संगतिप्रिय और मिलनसार; चतुर्थ भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो २४ वर्ष की अवस्था से सुखी होनेवाला, राजमान्य, कृषक, वाहनादि सुख का धारक और मातृसेवी; पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यवहारकुशल, बुद्धिमान्, प्रथम पुत्र सन्तान प्राप्त करनेवाला और कलाप्रिय; षष्ठ भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शान्त, रोगी, शत्रुओं से कष्ट पानेवाला, गुप्त रोगों से आक्रान्त, व्यय अधिक करनेवाला और २४ वर्ष की अवस्था में जल से हानि प्राप्त करनेवाला; सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो सुन्दर, सुखी, सुन्दर स्त्री प्राप्त करनेवाला, सत्यवादी, व्यापार से धन संचित करनेवाला और कृपण; अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो पितृधननाशक, कुटुम्बविरोधी, नेत्ररोगी और लम्पट; नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धर्मात्मा, भाग्यशाली, भ्रातृहीन और बुद्धिमान्; दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो पशु-व्यवसायी, धर्मान्तर में दीक्षित होनेवाला, पितृविरोधी और चिड़चिड़े स्वभाव का; एकादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो लाभ प्राप्त करनेवाला, कुशल व्यवसायी, अधिक कन्या सन्ततिवाला और मित्रप्रेमी एवं द्वादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शत्रु द्वारा धन खर्च करनेवाला, चिन्तायुक्त, राजमान्य एवं अन्तिम जीवन में सुखी होता है। २१० भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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