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उदाहरण-लग्न ४।२३।२५।२७-सिंह राशि के २३ अंश २५ कला २७ विकला है, यह सिंह राशि के १८ अंश से आगे और २५ अंश के पीछे है अतः मिथुन का त्रिशांश कहलायेगा। त्रिंशांश कुण्डली का लग्न मिथुन होगा। सूर्य ०।१०।७।३४मेष राशि के १० अंश के ७ कला ३४ विकला है। मेष राशि में १० अंश से आगे १८ अंश तक धनु राशि का त्रिशांश होता है। अतः सूर्य धनु राशि का होगा ।
समराशि का त्रिशांश चक्र
वृ.
।
क.
क.
वृ.
म.
मी.
अंश
२ शु.
२ शु.
२ शु.
२ शु.
२ शु.
२ शु.
१ से ५ तक
६ बु.
६ बु.
६ बु.
६ बु.
६ बु., ६ बु. ६ से १२ तक
१२ गु.
१२ गु.
१२ गु. | १२ गु. | १२ गु. | १२ गु. | १३ से २० तक
१० श.
१० श.
१० श. | १० श.
१० श. | १० श. | २१ से २५ तक
८ मं.
८ मं.
८ मं.
८ मं.
८ मं.
८ मं.
२६ से ३० तक
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१२
त्रिंशांश कुण्डली चक्र
२चं. ५ बु०३ मं०१ श.
रा०६ के. ७सू.
६११
शु १० गु० षष्ट्यंश-एक राशि में ६० षष्टयंश होते हैं अर्थात् ३० कला का एक षष्टयंश होता है।
___ जिस ग्रह या लग्न का षष्टयंश साधन करना हो उस ग्रह की राशि को छोड़कर अंशों की कला बनाकर आगेवाली कलाओं को उसमें जोड़ देना चाहिए । इन १९२
भारतीय ज्योतिष
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