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षोडशांश कुण्डली चक्र
सह
३
८
मं.
२
१२ त्रिंशांश-विषम राशियों-मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुम्भ में १ला ५ अंश मंगल का, २रा ५ अंश शनि का, ३रा ८ अंश बृहस्पति का, ४था ७ अंश बुध का और ५वा ५ अंश शुक्र का त्रिशांश होता है । तात्पर्य यह है कि उपर्युक्त विषम राशियों में यदि कोई ग्रह एक से ५० अंश पर्यन्त रहे तो मंगल के त्रिशांश में कहा जायेगा। ६ठे से १०वें अंश तक रहे तो अग्नि के, १०वें से १८वें अंश तक रहे तो बृहस्पति के, १९वें से २५वें अंश तक रहे तो बुध के और २६वें से ३०वें अंश तक रहे तो शुक्र के त्रिंशांश में वह ग्रह कहा जायेगा।
सम राशियों-वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन में १ला ५ अंश तक शुक्र का, २रा ७ अंश तक बुध का, ३रा ८ अंश तक बृहस्पति का, ४था ५ अंश तक शनि का और ५वा ५ अंश तक मंगल का त्रिशांश है।
राशिपद्धति के अनुसार विषम राशियों में ५ अंश तक मेष का, १० अंश तक कुम्भ का, १८ अंश तक धनु का, २५ अंश तक मिथुन का और ३० अंश तक तुला का त्रिंशांश होता है। त्रिंशांश कुण्डली भी पूर्ववत् बनायी जायेगी।
विषम राशि का त्रिशांश चक्र मे. मिथुन | सिं तु. | धनु । कुम्भ / अंश
१ मं.
१ मं. |
१ मं.
१ मं.
१ मं.
१ मं.
११ श.
११. श. | ११ श. | ११ श.
११ श. | ११ श.. १०
___९ गु.
९ गु. |
९ गु. |
९ गु.
९ गु.
९ गु.
१८ -- २५
३ बु.
३ बु.
३ बु. |
३ बु.
३ बु.
३ बु.
७ शु.
७ शु.
७ शु.
७ शु.
७ शु.
७ शु.
द्वितीयाध्याय
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