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षोडशांश-एक राशि में १६ षोडशांश होते हैं। एक षोडशांश १ अंश ५२ कला ३० विकला का होता है । षोडशांश की गणना चर राशियों में मेषादि से; स्थिर राशियों में सिंहादि से और द्विस्वभाव राशियों में धनु राशि से की जाती है ।
षोडशांश कुण्डली के बनाने की विधि यह है कि लग्नस्पष्ट जिस षोडशांश में आया हो, वही षोडशांश कुण्डली का लग्न माना जायेगा और ग्रहों के स्पष्ट के अनुसार ग्रह स्थापित किये जायेंगे।
षोडशांश ज्ञात करने का चक्र
चर मे.क.तु.म.
स्थिर वृ.सि.वृ.कुं.
द्विस्वभाव मि.क.ध.मी.
अंशादि
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م م و مد د م له سه »
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११५२।३० ३३४५। ० ५।३७।३० ७।३०। ०
९।२२।३० ११।१५। ० १३। ७।३० १५। ० ० १६।५२।३० १८।४५। . २०१३७।३० २२।३०। ० २४।२२।३० २६।१५। ० २८। ७।३० ३०। ०।०
उदाहरण-लग्न ४।२३।२५।२७ है, लग्न सिंह राशि की होने के कारण स्थिर कहलायेगी। सिंह के २३ अंश २५ कला २७ विकला का १३वा षोडशांश होगा, जिसकी राशि सिंह है अतः यहाँ षोडशांश कुण्डली की लग्नराशि सिंह होगी । ग्रहों के राश्यादि को भी षोडशांश चक्र में देखकर षोडशांश राशि में स्थापित कर देना चाहिए।
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मारतीय ज्योतिष
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