________________ सिद्धस्स सुहो रासी [ ] ___52 / 245 / 283 सुखमात्यन्तिकं यत्र [ ] 52 / 251 / 289 सुनिश्चितं नः परतन्त्र[द्वात्रिंश०] 580419 / 393 सुविवेचितं कार्य कारणं च [ ] 1939 / 96 सुरगण सुहं समग्गं [ ] 52 / 245 / 283 षड्वर्शनसमुच्चये सुरासुरनरेन्द्राणाम् [ ] 52 / 2462284 स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः [त० सू० 5 / 23] 49 / 179 / 254 स्मृत्यनुमानागमसंशय[न्यायभा०।११६] 19 // 34 // 94 स्वभावतः प्रवर्तन्ते [त. भा० 107] 52 / 245 / 282 स्वस्वभावजमत्यक्षम् [ ] 522246 / 284 [ ] ह्यः श्वोऽद्य संप्रति [ ] 49 / 200 / 265 हस पिब लल खाद मोद [ ] 33 / 4 / 141 हिरण्यगर्भः सर्वज्ञः [ ] 4670 / 200 हेतुमदनित्यमव्यापि [ सांख्यका० 20] 41 / 19 / 149 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org