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________________ धन्यवाद श्रीमान् शासनप्रभाविक गिरिनार आदि तीर्थोद्धारक जंगमयुगप्रधान जैनाचार्य श्री विजयनीतिसूरीश्वरजी महाराज, तथा श्रीमान् शान्तमूर्ति विद्वद्वर्य मुनिराज श्री जयंतविजयजी महाराज, एवम् खरतरगच्छीय प्रवर्त्तिनी साध्वी श्रीमती पुण्यश्रीजी महाराज की विदुषी शिष्यरत्ना साध्वी श्रीमती विनयश्रीजी महाराज, उक्त तीनों पूज्यवरों के उपदेश द्वारा अनेक सज्जनों ने प्रथम से ग्राहक होकर मुझे उत्साहित किया है, जिसे यह ग्रंथ प्रकाशित होने का श्रेयः आपको है । श्रीमान् शासनसम्राट् जंगमयुगप्रधान जैनाचार्य श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर जैनागम - न्याय - दर्शन - ज्योतिष- शिल्प-शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्री विजयोदयसूरीश्वरजी महाराज को शुद्ध करने एवं कहीं २ कठिन अर्थ को समझाने की पूर्ण मदद की है, इसलिये मैं उनका बड़ा आभार मानता हूँ । श्रीमान् प्रवर्त्तक श्री कान्तिविजयजी महाराज के विद्वान् प्रशिष्य मुनिराज श्री जसविजय जी महाराज के द्वारा प्राचीन भंडारों से अनेक विषय की हस्त लिखित प्राचीन पुस्तकें नकल करने को प्राप्त हुई हैं एतदर्थ आभार मानता हूँ। मिस्त्री भायशंकर गौरीशंकर सोमपुरा पालीताना वाले से मंदिर सम्बन्धी नकशे एवम् माहिती प्राप्त हुई हैं, तथा जयपुरवाले पं० जीवराज ओंकार- लाल मूर्तिवाले ने कई एक नकशे एवम् सुप्रसिद्ध मुसब्बर बद्रीनारायण जगन्नाथ चित्रकार ने सब देव देवियों आदि के फोटो बना दिये हैं तथा जिन सज्जनों ने प्रथम से प्राहक बनकर मदद की है, उन सब को धन्यवाद देता हूँ । Jain Education International For Private & Personal Use Only अनुवादक www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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