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________________ (३०) वास्तुसारे देव यम, छटे फूल का देव वरुण, सातवें फूल का देव सोम और आठवें फूल का देव विष्णु है। इनको गज के अग्र भाग से लेकर प्रत्येक पर्वरेखा पर स्थापन करना । इनमें से कोई भी एक देव शिल्पी के हाथ से गज उठाते समय दब जाय तो अनेक प्रकार के अशुभ फल को देनेवाला होता है। इसलिये नवीन घर आदि का आरंभ करते समय सूत्रधार को गज के दो फूलों के मध्य भाग से ही उठाना चाहिये । गज उठाते समय यदि हाथ से गिर जाय तो कार्य में विघ्न होता है । __ गज को प्रथम ब्रह्मा और अग्नि देव के मध्य भाग से उठावे तो पुत्र का लाभ और कार्य की सिद्धि हो । ब्रह्मा और यम देव के मध्य भाग से उठावे तो शिल्पकार का विनाश हो । विश्वकर्मा और अग्नि देव के मध्य भाग से उठावे तो कार्य अच्छी तरह पूर्ण हो । यम और वरुण देव के मध्य भाग से उठावे तो मध्यम फल दायक है। वायु और विश्वकर्मा देव के मध्य भाग से उठावे तो सब तरह इच्छित फल दायक हो। वरुण और सोम देव के मध्य भाग से धारण करे तो मध्यम फल दायक है रुद्र और वायुदेव के मध्यम भाग से उठावे तो धन की प्राप्ति और कार्य की सिद्धि हो इसमे संदेह नहीं । विष्णु और सोमदेव के मध्य भाग से उठावे तो अनेक प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त हो । शिल्पी के योग्य आठ प्रकार के सूत्र "सूत्राष्टकं दृष्टिगृहस्तमौज, कासकं स्यादवलम्बसज्ञम् । काष्ठं च सृष्टयाख्यमतो विलेख्य-मित्यष्टसूत्राणि वदन्ति तज्ज्ञाः ॥" सूत्र को जाननेवालों ने आठ प्रकार के सूत्र माने हैं-प्रथम दृष्टिसूत्र १, गज ( हाथ )२, तीसरा मुंज की डोरी ३, चौथा सूत का डोरा ४, पाँचवाँ अवलम्ब ५, छट्ठा गुणिया ( काठकोना ) ६, सातवाँ साधणी ( रेवल )७ और पाठवाँ विलेख्य ( प्रकार ) ८ ये आठ प्रकार के सूत्र शिल्पी के हैं। प्राय का ज्ञान गिहसामिणो करेणं भित्तिविणा मिणसु वित्थरं दीहं । गुणि अठेहिं विहत्तं सेस धयाई भवे पाया॥५१॥ * धनद (कुबेर ) भी कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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