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प्रतिदिक के मुहूर्त
(११) रवियोगयोगो रवे त् कृत४ तर्क नन्द :
दिग्१० विश्व १३ विंशोडषु सर्वसिद्धचै । भाये १ न्द्रिया५ श्व७ द्विपद रुद्र ११ सारी १५
राजो१६ डुषु प्राणहरस्तु हेयः ।। ५४ ॥ सूर्य जिस नक्षत्र पर हो, उस नक्षत्र से दिन का नक्षत्र चौथा, छट्ठा, नववा, दसवाँ, तेरहवाँ या बीसवाँ हो तो रवियोग होता है, यह सब प्रकार से सिद्धिकारक हैं। परन्तु सूर्य नक्षत्र से दिन का नक्षत्र पहला, पांचवाँ, सातवाँ, आठवाँ, ग्यारहवाँ पंद्रहवाँ या सोलहवाँ हो तो यह योग प्राण का नाशकारक है ।। ५४ ॥ कुमारयोग
योगः कुमारनामा शुभः कुजज्ञेन्दुशुक्रवारेषु ।
अश्वायैवय॑न्तरिते-नन्दादशपञ्चमीतिथिषु ।। ५५ ।।
मंगल, बुध, सोम और शुक्र इनमें से कोई एक वार को अश्विनी श्रादि दो २ अंतरवाले नक्षत्र हो अर्थात् अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, मघा, हस्त, विशाखा, मूल, श्रवण और पूर्वाभाद्रपद इनमें से कोई एक नक्षत्र हो; तथा एकम, छह, ग्यारस, दसम और पांचम इनमें से कोई एक तिथि हो तो कुमार नाम का शुभ योग होता है। यह योग मित्रता, दीक्षा, व्रत. विघा, गृह प्रवेशादिक कार्यों में शुभ है । परन्तु मंगलवार को दसम या पूर्वाभाद्र नक्षत्र, सोमवार को ग्यारस या विशाखा नक्षत्र, बुधवार को पडवा या मूल या अश्विनी नक्षत्र, शुक्रवार को दमम या रोहिणी नक्षत्र हो तो उस दिन कुमार योग होने पर भी शुभ कारक नहीं है। क्योंकि इन दिनों में कर्क, संवर्तक, काण, यमघंट आदि अशुभ योग की उत्पति है, इसलिये रन विरुद्ध योगों को छोड़कर कुमार योग में कार्य करना चाहिये ऐसा श्रीहरिमद्रसरि कृत लमशुद्धि प्रकरण में कहा है ॥ ५५ ॥
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