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बुधवार को अशुभ योग
न बुधे वासवाश्लेषा रेवतीत्रयवारुणम् ।
चित्रामूलं तिथिश्चेष्टा जयकेन्द्रनवाङ्किता ॥ ४७ ॥
बुधवार को धनिष्ठा, आश्लेषा, रेवती, अश्विनी, भरणी, शतभिषा, चित्रा मूल इनमें से कोई नक्षत्र तथा तीज, आठम, तेरस, पडवा, चौदस और नवमी इनमें से कोई तिथि हो तो अशुभ योग होता है ॥ ४७ ॥
गुरुवार को शुभ योग -
गुरौ पुष्याश्विनादित्य-पूर्वाश्लेषाश्च वासवम् ।
पौष्णं स्वातित्रयं सिद्धचै पूर्णाश्चैकादशी तथा ॥ ४८ ॥
गुरुवार को पुष्य, अश्विनी, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपदा, आश्लेषा, धनिष्ठा, रेवती, स्वाति, विशाखा और अनुराधा इनमें से कोई नक्षत्र तथा पांचम, दम, पूर्णिमा या एकादशी तिथि हो तो शुभ योग होता है ॥ ४८ ॥
गुरुवार को अशुभ योग
वास्तुसारे
न गुरौ वारुणाग्नेय चतुष्कार्यमणद्वयम् ।
ज्येष्ठा भूयै तथा भद्रा तुर्या षव्यष्टमी तिथिः ॥ ४६ ॥
गुरुवार को शतभिषा, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशीर, आर्द्रा, उत्तराफाल्गुनी,
हस्त और ज्येष्ठ। इनमें से कोई नक्षत्र तथा दूज, सातम, बारस, चौथ, छह और इनमें से कोई तिथि हो तो अशुभ योग होता है ॥ ४६ ॥
शुक्रवार को शुभयोग
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शुक्रे पौष्णाश्विनाषाढा मैत्रं मार्ग श्रुतिद्वयम् । यौनादित्ये करो नन्दात्रयोदश्यौ च सिद्धये ॥ ५० ॥
शुक्रवार को रेवती, अश्विनी, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, अनुराधा, मृगशीर, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाफाल्गुनी, पुनर्वसु और हस्त इन नक्षत्रों में से कोई नचत्र तथा छह, ग्यारस और तेरस इनमें से कोई तिथि हो तो शुभ योग होता है ॥ ५० ॥
एकम,
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