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जिनेश्वरदेव और उनके शासनदेवों का स्वरूप
बाईसवें नेमिनाथ और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप
तथा द्वाविंशतितमं नेमिनाथं कृष्णवर्ष शङ्खलाञ्छनं चित्राजातं कन्याराशिं चेति । तत्तीर्थोत्पन्नं गोमेधयक्षं त्रिमुखं श्यामवर्ण पुरुषवाहनं षड्भुजं मातु लिङ्गपरशुचकान्वितदक्षिणपाणिं नकुलकशूलशक्तियुतवामपाणिं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां कूष्माण्डीं देवीं कनकवर्ण सिंहवाहनां चतुर्भुजां मातु लिङ्गपाशयुक्तदक्षिणकरां पुत्रांकुशान्वितवामकरां चेति ॥ २२ ॥
नेमनाथ जिन बाईसवें तीर्थंकर हैं, ये कृष्ण वर्णवाले, शंख का लांछन वाले, जन्म नक्षत्र चित्रा और कन्या राशिवाले हैं ।
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उनके तीर्थ में 'गोमेध' नामका यच, तीन मुखवाला, कृष्ण वर्णवाला, पुरुष की सवारी करनेवाला, छः भुजावाला, दाहिनी भुजाओं में बीजोरा, फरसा और चक्र; हाथों में न्यौला, शूल और शक्ति को धारण करनेवाला है ।
उन्हीं के तीर्थ में 'कुष्माण्डी' पर 'अम्बिका' नामकी देवी, सुवर्ण वर्णवाली, सिंह की सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिने हाथों में 'बीजोरा और पाश; बाँयें हाथों में पुत्र और अंकुश को धारण करनेवाली है ।। २२ ।।
तेईसवें पार्श्वनाथ और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप
तथा त्रयोविंशतितमं पार्श्वनाथं प्रियंगुवर्ण फणिलाञ्छनं विशाखाजातं तुलाराशिं चेति । तत्तीर्थोत्पन्नं पार्श्वयक्षं गजमुखमुरगफणामण्डित शिरसं श्यामवर्ण कूर्मवाहनं चतुर्भुजं बीजपूर कोर गयुतदक्षिणपाणिं नकुलकाहियुत वामपाणिं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां पद्मावतीं देवीं कनकवर्णा कुर्कुटवाहनां चतुर्भुजां पद्मपाशा न्वितदक्षिणकरां फलांकुशाधिष्ठित वामकरां चेति ॥ २३ ॥
पार्श्वनाथ जिन नामके तेईसवें तीर्थंकर हैं, ये प्रियंगु ( हरे) वर्णवाले, सांप के लांछन वाले, जन्म नक्षत्र विशाखा और तुला राशि वाले हैं ।
१ प्रवचनसारोद्धार त्रिषष्टी शलाका पुरुषचरित्र और श्राचारदिनकर में 'श्राम्रलुंबी' लिखा है । २१
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